Views and Counterviews 95

 जाने क्यों ये विडियो बार-बार मेरे यूट्यूब पर आ रहे हैं? कह रहे हों जैसे, सुनो हमें? जाने क्यों लगा, की ये तो रौचक हैं      प्रशांत किशोर  V...

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Friday, February 28, 2025

ABCDs of Views and Counterviews? 44

स्वस्थ जिंदगी (Healthy Life)

काफी वक़्त हो गया हैल्थ, एक्सरसाइज़ या डाइट पे कुछ नहीं लिखा? कोरोना खा गया ये सब? Resignation के बाद जब घर आई, तो बस इतना-सा ही ख्वाब था, एक Writing Hub, एक छोटी-सी किचन, मेरे छोटे-मोटे dietry experiments के लिए और घुमने या एक्सरसाइज़ के लिए हरा-भरा-सा लॉन? और उसपे एक छोटी-सी पोस्ट भी लिखी थी। मगर कहाँ पता था, की इधर खिसकाने वालों के इरादे कितने खतरनाक होंगे? वो तुम्हे एक जेल की सैर के बाद, दूसरी किसी और ही तरह की जेल की सैर पे भेज रहे हैं? वो हॉउस अरेस्ट टाइप, जो उस साढ़े तीन दिन के खास-म-खास जेल ट्रिप के दौरान ड्रामे के रुप में बताई थी? और तुम घर आ रहे थे, बचपन के स्वर्ग से सपने लेकर? 

मगर कोरोना ने सिर्फ ये सब नहीं खाया। उसने कुछ एक ब्लॉग्स, कुछ एक पत्रकार या सरकार के आलोचक भी खाए, जिन्हें आप पसंद करो या ना करो, मगर सिखने और जानने-समझने को काफी कुछ था, उनके सोशल प्रोफाइल्स पर या ब्लॉग्स पर। कुछ का समझ नहीं आया, की इन्होंने अपने ब्लॉग्स या सोशल प्रोफाइल्स पर ताले क्यों लगा लिए? और कुछ को कौन-से heart attack या हैल्थ प्रॉब्लम्स खा गई? वो सब सीधा-सीधा डराने के लिए भी था, की Campus Crime Series या Case Studies बंद। लिखना ही है तो और बहुत कुछ है तुम्हारे पास। नहीं तो अंजाम तुम्हारा भी ऐसा ही कुछ होगा। Campus Crime Series को बीच में ही रोकने की एक वजह, ये चेतावनियाँ भी रही। जब सिर्फ खुद की ज़िंदगी ही नहीं, बल्की, आसपास भी जैसे घुटता-सा या उठता नज़र आया । मगर ऐसा कुछ छोड़ा भी नहीं, जो बाहर आना चाहिए था और जैसे किसी कैद में था। क्या था वो? 

भारती-उजला केस?

Exams Fraud December 2019? और माँ का ऑपरेशन? 

और फिर? March 2020 कोरोना की शुरुआत?  

खैर। मेरे पास सच में उससे आगे भी काफी कुछ था, जो हर रोज आँखों के सामने घट रहा था या है। 

Social Tales of Social Engineering (Making of Human Robots) 

Bio Chem Physio Psycho and Electronic Warfare: Pros and Cons    

मगर ये सब जानना-समझना इतना भी आसान कहाँ था? अगर सच में कुछ बड़ी-बड़ी ताकतें, उन्हें यूँ मुझ तक किसी न किसी रुप में ना पहुँचाती तो? और शायद खुद राजनितिक पार्टियाँ भी? जैसे, एक-दूसरे के कारनामों को बताने या दिखाने की हौड़? जैसे सबकुछ सामने हो, और हम समझ ना पाएँ की सबकुछ कोड है। उन कोडों को समझने की कोशिश करो और परतें अपने आप खुलती जाएँगी? 

आज ये अचानक, फिर से कहाँ से आ गया? जानते हैं अगली पोस्ट में। 

Wednesday, February 26, 2025

ABCDs of Views and Counterviews? 43

कहानी और प्लॉट? 


At Par V IT amin या M U L TI VI T?

Vit या Vit A? या Multi V IT?  

छोटी-मोटी रोजमर्रा की दवाईयों या multivit जैसे, गोलियों या कैप्सूलों की कहानी और उनसे जुड़े अजीबोगरीब कारनामे किसी और पोस्ट में। अभी कहानी और प्लॉट के फर्क या हेदभेद को समझने की कोशिश करते हैं। 


आजु-बाजू? जैसे ईधर, उधर या किधर? 

इसे अपनी दोनों बाजुओं से समझें। आपके घर के दोनों तरफ मकान हैं। आजू भी और बाजू भी। या कहो की दाएँ भी और बाएँ भी। ये मकान जैसे आपकी बाजुएँ हैं। 

आमने-सामने? 

ऐसे जैसे कुरुक्षेत्र का मैदान? या आगे जो भविष्य है? 

और पीछे?

जो पीछे रह गया? या आपका भूत जैसे? 

या कुछ लेना-देना है? किस तरह का सम्बन्ध है आपका, आपके आजू-बाजू से? आमने-सामने से? या पीछे वाले मकान या मकानों से? दुकान या दुकानों से? प्लॉट या प्लॉटों से? खेत या खलिहानों से? खाली पड़े प्लॉटों से या उनमें बनते हुए मकानों, बैठकों या जानवरों के रहने के घेरों से? सरकारी या प्राइवेट से? या किसी कोऑपरेटिव से?          

ऐसे ही जैसे, सारा समाज सिर्फ कुछ कोढ़ों की गिर्फत में। 

जिनमें सरकारी क्या और प्राइवेट क्या? 

शिक्षा क्या और स्वास्थ्य क्या? 

खेती क्या और व्यापारी क्या? 

बीमार क्या और बीमारी क्या? 

इलाज क्या और दवाई क्या?

हॉस्पिटल कौन-सा या ऑपरेशन क्या? 

ज़िंदगी क्या और मौत क्या?  

रिश्ते-नाते क्या?

शादी क्या और बच्चे क्या?

अड़ोस-पड़ोस क्या और गली मोहल्ला क्या?

सब समाया है।   

अपने इस आसपास या अड़ोस-पड़ोस को आप कितना जानते हैं? अड़ोस-पड़ोस छोड़िए। अपने घर में रह रहे सदस्यों को ही आप कितना जानते हैं? किसके साथ कितना वक़्त गुजारते हैं? आपकी ज़िंदगी भी उन्हीं के अनुसार होती जाएगी। अगर आप अपने घर से ज्यादा, बाहर वक़्त गुजारते हैं तो घर बिखरता जाएगा। या सम्बन्ध उतने मधुर नहीं होंगे। रिश्तों में खटास ज्यादा होगी। जिसका फायदा बाहर वालों को होगा। आपका घर बाहर वालों में बँटता जाएगा। और घर वाले अलग-थलग या ज्यादा खतरनाक केसों में ख़त्म होते जाएँगे।  

सचेत होने की जरुरत होती है, जब बाहर वाले अपनों के ही खिलाफ कुछ कहने लगें या भड़काने लगें। बाहर वालों की बजाय, हकीकत अपने घर वाले इंसान से ही जानने की कोशिश करो। कहीं हकीकत कुछ और ही ना मिले। और बाहर वाले तुम्हारा नुकसान कर अपना ही कोई स्वार्थ साधने में लगे हुए हों। आपको किसी अपने के ही खिलाफ भड़काकर और उस अपने को शायद आपके खिलाफ?   

यही आसपास या अड़ोस-पड़ोस या गली-मौहल्ले पर भी लागू होता है। 

ABCDs of Views and Counterviews? 42

हमारे सिस्टम में इंसान एक प्रॉपर्टी है? 

और सारा खेल बड़ी-बड़ी कंपनियों और दुनियाँ भर की सरकारों वाली कुर्सियों की मार धाड़ का है? या इससे ज्यादा भी कुछ है? जानने की कोशिश करें?

2010 मनमोहन सिंह PM, कांग्रेस आई थी, किसी काँड के बाद?

2013? अरविन्द केजरीवाल? दिल्ली CM?

2014 मोदी PM? और फिर से अरविन्द केजरीवाल, दिल्ली CM?   

 

 2014? कोई मीटिंग शायद? 

At Par? ये क्या बला है? 

SFS Self Financing Scheme, Government Service के equal, बराबर, जब तक वो डिपार्टमेंट है। उस वक़्त आप उससे आगे कुछ नहीं जानते। क्यूँकि, ऑफिसियल, मतलब ऑफिसियल। वो सब भला पर्सनल ज़िंदगी को कैसे प्रभावित कर सकता है?

20 18 और कोढों की भरमार जैसे। 

20 19, पर्सनल कुछ नहीं। सब में राजनीती और सब राजनीती के बनाए सिस्टम का। क्या जीव, क्या निर्जीव। आदमी भी, उसी सिस्टम की प्रॉपर्टी। 

प्रॉपर्टी? इंसान किसी की प्रॉपर्टी?

2020 Election Bonds और अलग-अलग पार्टियों की अलग-अलग फंडिंग। 

मतलब? अब ये क्या बला है? 

जैसे "Service Bonds" किसी सर्विस के बदले, सर्व कर रहे हैं आप किसी को। 

जब ज्वाइन किया तो क्या था?

बाद में भी उसे बदला जा सकता है? 

क्या? सच में इतना आसान है? 

सीधे नहीं, थोड़े टेड़े रस्तों से। 

क्रोनोलॉजी (Chronology) 

2008, ढेरों सर्विस या जॉइनिंग 

2010, फिर थोड़ी कम 

 2012, और कम 

2014? और?   

सरकारों के बदलावों को समझो। 

क्या है जो Trading या Optional है? और क्या है जो दूरगामी और sustainable? जैसे एक ही शब्द के अनेक अर्थ या शायद अनर्थ भी? 

 जैसे Ben बेन? 

Sister बहन?

मतलब एक ही? बराबर? 

या शायद कुछ-कुछ ऐसे?

जैसे बाई B AI और BH AI Y? 

गूगल से इस बारे में AI ज्ञान लें?

किसी और सर्च इंजन की AI का ज्ञान, शायद किन्ही और शब्दों में या अर्थों में मिलेगा?
आप Co Pilot या कोई और प्रयोग कर देख सकते हैं। 

सुना है, सर्विस और सर्व करने का सिलसिला, किसी न किसी रुप में, सदियों से ऐसे ही चलता आ रहा है? जहाँ मध्यम वर्ग या समाज का नीचे का तबका, हमेशा बड़े लोगों का सेवक बनकर रहा है। और बड़े लोग हमेशा शोषक। और जब तक ये मध्यम या समाज का नीचला तबका, वक़्त के साथ, वक़्त के बदलते रंग-रुपों को पढ़ेगा या समझेगा नहीं, तब तक ऐसे ही इन कुर्सियों को सलाम ठोकता रहेगा और शोषित होता रहेगा। 

Saturday, February 22, 2025

ABCDs of Views and Counterviews? 41

आप कोई पेपर, डॉक्यूमेंट या शायद ऐसा-सा ही कुछ कॉपी कर रहे हैं। शायद ईमेल सेव करने के लिए या एक-आध पोस्ट करने के लिए? मगर कलाकार फ़ोन ही नॉन फंक्शनल कर देते हैं। आप फिर से कॉपी करते हैं और फिर से ऐसा कुछ। क्यों? ऐसा तो कुछ खास भी नहीं उनमें। ये कुछ एक महीनों पहले की बात है। एक-आध, इधर-उधर के पत्र या ग्रीटिंग या ऐसा-सा ही कोई किसी मैगज़ीन का हिस्सा? ये भी किसी के लिए अड़चन हो सकता है? या इतना अहम, की वो उन्हें सॉफ्ट कॉपी ही ना बनाने दें? ऐसा क्या है उनमें?  

इलेक्शन जाने दे, फिर कर लियो। कहीं हिंट जैसे कोई। क्यों? इनका किसी इलेक्शन से क्या लेना-देना? समझ से बाहर? खैर। उसके बाद उनकी कुछ कॉपियाँ यहाँ मिलती हैं और कुछ वहाँ। जाने कहाँ-कहाँ? अब रोकने वाले तैयार बैठे हैं, तो रुकावट है, रुकावट है, को बताने वाले भी। और उस रुकावट वाले जोन में घुसपैठ कर, उन्हें रुकावट से बाहर रखने वाले भी? मज़ेदार दुनियाँ है ये, अजीबोगरीब मारधाड़ वाली? खैर। आप आराम से बैठते हैं की चलो इतनी भी रुकावट नहीं है। हो जाने दो इलेक्शन। और उसके बाद कोई एक पत्र किसी पोस्ट का हिस्सा बनता है। 

उन्हीं में कुछ और भी है, जो बाहर निकलता है। वो भोले-भाले, नए-नए कॉलेज के दिनों के उस ज़माने के बच्चों का है। कॉलेज स्तर पे बच्चे? हाँ। कुछ-कुछ ऐसा ही। यूँ लगता है, टेक्नोलॉजी ने बहुत कुछ बदल दिया है। यही जनरेशन गैप है। मंदिर-मस्जिद से परे, रंगभेद या जातपात से परे, कब और कैसे, ये इतने धर्मान्दी या उमादि हो गए लोग? राजनीती और टेक्नोलॉजी? हिन्दू बनेगा ना मुसलमान बनेगा, इंसान की औलाद है इंसान बनेगा, वाले लोग? या इंसान से शैतान? मगर कैसे? राजनीती? पता नहीं। मगर दिल्ली की नई मुख्यमंत्री के बारे में कुछ एक विडियो देखे तो लगा, ये रिप्रजेंटेशन उन लोगों की तो नहीं शायद, जिन्हे ये दिखाना या बताना चाह रहे हैं? राजनीती की कुर्सियों के ये मालिक, कोई और ही हैं। वैसे ही जैसे, हर इंसान अनौखा है और हर इंसान की अपनी अलग पहचान और अलग ही कहानी। उन्हें किसी और में देखना ही, उस इंसान का अपना अस्तित्व या पहचान दाँव पर लगाने जैसा है। आपको क्या लगता है?  

Views और Counterviews का फायदा ही ये है की आप सिर्फ अपने विचार नहीं रख रहे, बल्की, इधर-उधर के विडियो, या विचारों या किस्से कहानियों को भी रख रहे हैं। जरुरी नहीं ये पोस्ट लिखने वाला या आप उनसे सहमत हों। क्यूँकि, किसी को भी एक साँचे में नहीं रखा जा सकता। हर किसी का अपना मत है और अपने विचार। बस, उन्हें किसी और पे जबरदस्ती थोंपने की कोशिश नहीं होनी चाहिए। रौचक तथ्य ये, की जहाँ कहीं जबरदस्ती थोंपने की कोशिशें होती हैं, तो वो बिमारियों और हादसों के कारण होते हैं। उसकी सामान्तर घड़ाईयाँ जाने फिर कहाँ-कहाँ चलती हैं। जिस किसी समाज में ये जबरदस्ती थोंपने का चलन ज्यादा है, वहीँ लोगों को बिमारियाँ भी ज्यादा हैं और दूसरी तरह की समस्याएँ भी। आगे किसी पोस्ट में इन्हें कोड से जानने की कोशिश करेंगे। आपका कोड क्या है और आपपे क्या थोंपने की कोशिश है? वो थोंपने की कोशिश या थोंपना ही जहाँ कहीं आप हैं, वहाँ उस सिस्टम के अनुसार बीमारी का कोड है? बाकी जानकार ज्यादा बता सकते हैं। 

ABCDs of Views and Counterviews? 40

The art and craft or graft (?) of making parallel cases in society

समाज में सामान्तर घड़ाईयोँ की कला 

22 02 2025 (सुबह)

DL 1C .. W .... सफ़ेद रंग ब्लाह ब्लाह कंपनी 

एक दिन पीछे चलते हैं 

21 02 2025 

ये डॉक्युमेंट्स चैक करो और ये ये करो 

ये क्या है? भेझा फ्राई जैसे? ये तो मैं कर चुकी, एक्सपेरिमेंटल।  Scale up वालों ने विज्ञापन दे दे के जैसे भेझा ख़राब कर रखा था। सोचा, ऐसा है तो try ही कर ले। ज्यादा से ज्यादा क्या होगा? ऑनलाइन क्या हो सकता है? हाँ! ऑफलाइन तो बहुत कुछ हो सकता है। 

ऑनलाइन क्या हो सकता है? 

ऑनलाइन बहुत कुछ हो सकता है। आप हकीकत की दुनियाँ के मंदिर को मस्जिद और फिर डालमियाँ विभाग तक पहुँचा सकते हैं। सिर्फ आप? या?

या बहुत बड़ा प्र्शन है।  

चलो पहुँच गए मंदिर से डालमियाँ विभाग। रिवर्स इंजीनियरिंग फिर से करने में कितना वक़्त लगेगा? करके देखें?

हो तो जाएगी, मगर वक़्त और संसाधनों का कितना प्रयोग या दुरुपयोग होगा? खासकर, एक ऐसे जहाँ में जहाँ कितनी ही ज़िंदगियाँ आसपास ही नहीं, बल्की दुनियाँ के दूसरे कोने में भी लटके-झटके खाती हैं। दुनियाँ के दूसरे कोने पे किसी और पोस्ट में, आसपास क्या चला इस दौरान? या चल रहा है?

कहीं एक नन्हा-मुन्ना सा आया दुनियाँ में। इतने कम वक़्त में सिस्टम ने अगर उस घर से वक़्त से पहले दो लोगों को खाकर, एक दे दिया, तो क्या अहसान है? अगर सिस्टम की जानकारी होती तो वो दो भी ना जाते? जैसे बाकी और घरों में। कहीं-कहीं थोड़ी बहुत भरपाई होती है, मगर कहीं-कहीं? ये भी सिस्टम बताता है? वैसे हम इसे भरपाई कह सकते हैं क्या? No offence to female brigade. क्यूँकि, हमारे यहाँ उनकी गिनती ही नहीं होती शायद? मगर इस सबसे दूर क्या चला, वो शायद यहाँ लोगो को मालूम नहीं होता। कौन-सी पीढ़ी के, कौन से रोबॉट वाली, किस कँपनी की मोहर ठोक चुका ये सिस्टम? क्या खास है, दुनियाँ की हर पैदाइश ऐसे ही है। ऐसे ही और भी सामान्तर किस्से-कहानियाँ हैं, जहाँ पता ही नहीं, क्या-क्या खा गया ये सिस्टम। इसलिए बार-बार कहा जा रहा है, की सिस्टम को जानना और समझना जरुरी है।  

ऐसे ही आसपास कुछ और हेरफेर या बदलाव हुए। सिस्टम के धकाए बिना जो संभव ही नहीं। उनपे आएँगे किसी और पोस्ट में। 

एक तरफ कुछ और भी चल रहा है। ये क्या है? P. S.  ब्लाह ब्लाह इनफोर्स्मेंट? एक तरफ कहीं कोई नई सरकार, उनकी कैबिनेट मीटींग, कुछ फैसले और कहीं कोई ऑफिसियल डॉक्युमेंट्स। और दूसरी तरफ? कहीं कोई खास-म-खास फ़ोन? Court और Divorce? इससे पहले भी आसपास जितने रिश्तों की सिलाई, बुनाई, या तोड़फोड़ चली, उनकी भी कहानी यही है। उसके साथ-साथ, रोज-रोज के छोटे-मोटे ड्रामे तो चलते ही रहते हैं।

इन सबकी खबर ज्यादातर पत्रकारों को रहती है। राजनितिक पार्टियों को नहीं? वो तो ये सब दाँव खेलते हैं, डाटा कलेक्टर्स और डाटा और सर्विलांस अबूसेर्स के साथ मिलकर। बीच की सुरँगे छोटी-मोटी नौटंकियोँ का हिस्सा होती हैं, बिना ये जाने की इसमें तुम्हारा कितना नुकसान या फायदा है। राजनितिक पार्टियों को पता होता है, की ये सामान्तर घड़ाई वाले पीसेंगे बीच में। जैसे दो पाटों के बीच गेहूँ या दो सांड़ों के बीच झाड़। मगर, उन्हें इससे क्या फर्क पड़ता है? और वो इसकी जानकारी इन लोगों को क्यों होने देंगे? ऐसा हो गया तो उनका ये भद्दा, बेहुदा और खूँखार खेल ख़त्म। इस खेल का बहुत बड़ा हिस्सा आपके दिमाग से जुड़ा है। आप अपने दिमाग को कितना चला रहे हैं या सुला रहे हैं? और बाहर से वो कितना और कैसे-कैसे कंट्रोल हो रहा है? राजनीती और इन बड़ी-बड़ी कंपनियों द्वारा? आज के समाज का सारा खेल यही है। 

रिवर्स इंजीनियरिंग बड़ा ही रौचक विषय है। जानने की कोशिश करें, थोड़ा इसके बारे में? 

Thursday, February 20, 2025

ABCDs of Views and Counterviews? 39

Series Across Generations?

 कौन-सी जनरेशन से हैं आप?

रोबोट्स की या मशीन की, कौन-सी सीरीज या कंपनी (राजनितिक पार्टी) की?

अब मशीनों या रोबोट्स की तो जनरेशन होती हैं और सीरीज भी। आदमियों की? 

आज ही कहीं सुना की मैं Line वाली सीरीज से हूँ। 

Line? क्यों deadline से अभी भी पीछा नहीं छूटा? घर पे बैठके भी deadline, deadline चल रहा है? तो कोई ऑफिस ही ज्वाइन करले। 

अबे ऑफिसियल ही तो Daedline, Deadline चलता है। वहॉँ कौन-सा KBC चल रहा होता है, जो Lifeline चलेगी?

वैसे ये KBC कब शुरु हुआ था? Yours Lifeline के वक़्त?

ये दिल्ली में कौन-सी Line आ गई आज? 

Tuesday, February 18, 2025

ABCDs of Views and Counterviews? 38

Weather manipulation and human behaviour or physiological or psychological manipulations, one and same thing?

आज के वक़्त में कृत्रिम बारिश, ओले, बर्फ गिरना या आँधी, तुफान, छोटे-मोटे भूकंप, चक्रवात, या बाढ़ लाना, कितना मुश्किल या आसान है?    

और इंसान या अन्य जीवों की फिजियोलॉजी को बदलना?

सिर्फ बारिश चाहिए? ये गोली?

पीरियड्स चाहिएँ? ये गोली?

कम या ज्यादा चाहिएँ? सँख्या बढ़ा दो?

बच्चे के पैदा होने से पहले का सीन या दर्द दिखाना है? ये गोली?

उसे पथ्थरी बता दो? किसे पता चलेगा? 

जब खेल ही दिखाना है, बताना नहीं? 


ऐसे ही कोई भी बीमारी दिखा सकते हैं? सिर्फ दिखा सकते हैं? या कर भी सकते हैं? सिर्फ कर सकते हैं या ना होते हुए भी ऐसी रिपोर्ट दे सकते हैं? किसे पता चलना हैं? ऐसे में ऑपरेशन करना कितनी बड़ी बात है? और दुनियाँ से ही चलता करना? कहीं न कहीं हर रोज हो रहा है?   

और आपको ये सब कोरोना के वक़्त कुछ-कुछ समझ आए, की ये लोगों के साथ हो क्या रहा है? और कैसे? उसके बाद जब घर आकर रहना शुरु किया, तो जैसे रोज ही पागलपन के दौरे तो नहीं पड़े हुए, ये सब करने वालों को? आदमियों को बक्श रहे थे ना जानवरों को। पक्षियोँ के कारनामे तो अभी तक जैसे, यकीं करने लायक नहीं। हाँ, पौधों के जरिए जरुर थोड़ा बेहतर समझा जा सकता है। जैसे poppy यूनिवर्सिटी में कब और कहाँ-कहाँ दिखने लगा? उसे पहली बार यहाँ गाँव में कहाँ देखा? ऐसे ही जैसे धतुरा और कितने ही पौधे, ईधर आते हुए और फिर जाने किधर जाते हुए या बिखरते हुए?    

मानव रोबॉट लिखना मैंने कोरोना के बाद ही शुरु किया था। आसपास लोगों का थोड़ा अजीब-सा व्यवहार जानकार या समझकर। या शायद उनकी ज़िंदगियों के अजीबोगरीब किस्से-कहानी जानकार। जिसमें आपको समझ तो आता है, मगर, इतने सारे प्रूफ कहाँ से और कैसे लाओगे? और जैसे वो ऑनलाइन हिंट्स वाले प्रूफ भी देने लगे? जैसे कह रहे हों, ले प्रूफ, रख ऑनलाइन? या शायद, क्या कर लोगे ऑनलाइन रखकर भी? अगर ये सब ब्लॉक नहीं हो रहा होगा, तो कुछ न कुछ तो आम लोगों तक भी पहुँचेगा ही। यही बहुत है शायद, एक इंसान के लिए तो।    

ABCDs of Views and Counterviews? 37

Political infection in Science?

Or Research Politically infected?

वैसे तो इस इन्फेक्शन का रुप 2018 में ही दिखना शुरु हो गया था। उसके बाद जब भारती-उजला के केस की फाइल शुरु हुई, तो जैसे सबकुछ जबरदस्ती छीना-झपटी। तुम्हारा क्रेडिट गुंडागर्दी से किसी और के नाम कर देना। लेकिन क्रेडिट किसी और के नाम कर देना पहली बार नहीं था। उसकी तो जैसे आदत हो चली थी मुझे। मेहनत करो या करवाओ और दान कर दो? आदत भी ऐसे, की जैसे कोई फर्क ही नहीं पड़ता। नफरत हो गई थी ऐसे चोरी करने वालों से या झूठ पे झूठ फेंकने वालों से। मगर उसमें भारती-उजला अकेला केस नहीं था। ये उससे भी ज्यादा विचलित करने वाला था।  

वीरभान का केस कुछ-कुछ, ऐसा-सा ही था। या कहना चाहिए एक कदम और आगे? जैसे कोई सरकारी सामान, जो सबके प्रयोग के लिए हो, उसे अपने यहाँ रखके और फिर शिकायत भी आपकी ही करे। अमेरिकन butterfly या fly? या drosophilla? कौन से वाली? आप शिकायत करें, चाहे वो कितने ही तथ्यों सहित हो, फर्क नहीं पड़ता। और वो भी सिर्फ आपने नहीं, बल्की, बाकी फैकल्टी ने भी की हुई हो, आपसे भी पहले? मगर, उसके बावजूद कोई committee उसकी झूठ-सच फेंकी हुई फाइल आगे चलता कर देगी। और आपकी? या शायद साथ में किसी और की भी?

और? वो खास वाला tea invitation? कमल, कमल?
और आपको कई और ऐसे-ऐसे केसों की फाइल झेलने के बाद समझ आता है, की ये सब चल क्या रहा था?

आप कोई भी dissertation, कोई भी thesis या कोई भी research पेपर उठाओ और पॉलिटिकल इंफेक्शन नज़र आएगा। हम क्या पढ़ते हैं? क्या सुनते हैं? या क्या देखते हैं? Review या literature भी वहीँ से आयेगा और रीसर्च प्रश्न भी। कैसे और क्या लिख रहे हैं, कहीं न कहीं वो सीरीज या पॉइंट्स भी वहीँ से निकल कर आते हैं। जरुरी नहीं, हर किसी को पॉलिटिकल इंफेक्शन का इस स्तर पर पता हो। मगर रिजल्ट तो उसी के आसपास मिलेंगे? वहाँ के सोशल मीडिया कल्चर के आसपास? और वो सोशल मीडिया कल्चर या सिस्टम, वहाँ की राजनीती बनाती है। अजीब लग रहा होगा बहुतों को सुनकर शायद? यहाँ भी राजनीती की पहुँच या पैठ इस कदर? फिर किसी layman को क्या बोला जाए? 

किस वक़्त किसने क्या रिसर्च की है या किसी डिपार्टमेंट या प्रोफेसर या साइंटिस्ट के रिसर्च का टॉपिक या प्रोजेक्ट क्या रहा? और क्यों? और रिजल्ट?   

उससे भी हैरान करने वाली बात, मान लो आपकी रिसर्च का या लैब का टॉपिक ही stones हैं। वो फिर चाहे kidney stone हो या gall bladder और आपको या आपके यहाँ किसी को ये समस्या या so called बीमारी हुई है या थी। मगर शायद वो बीमारी थी ही नहीं?

अब ऐसे ही आप किसी भी रिसर्च टॉपिक या बीमारी पर जा सकते हैं। किसी भी मतलब, मतलब किसी भी। वो फिर क्या कैंसर, क्या पैरालिसिस, क्या कोई भी बुखार या इन्फेक्शन। आपका कोड या आपकी जगह का कोड और उस वक़्त वहाँ की राजनीती का कोड, बहुत बड़ी भूमिका निभा रहा है इस सबमें।   

मगर कुछ है शायद, जो बहुत लोगों को पहले नहीं पता था? या शायद अब तक नहीं पता की उस कोड का पता कैसे लगे? और किस कोड वाली जगह जाने पर आप उस बीमारी से बच जाएँगे ? या संसाधन सम्पन हैं या जानकार हैं, तो जहाँ रह रहे हैं, वहाँ रहकर  भी निपट लेंगे या ठीक हो जाएँगे? कुछ केस लेते हैं आगे। 

और हमें ये राजनीती कहाँ, कैसे केसों में या फालतू की बकवास में उलझा रही है, अनपढ़ गँवारों की तरह? ये सब जानने या बताने पर पहरे हैं? अगर हाँ तो क्यों?                                   

ABCDs of Views and Counterviews? 36

Immersive practical training to people via their life experiences? Dynamic dance between science, arts, society and technology? 

Source Link-e din? Or? 

जैसे Cold Harbour?

या 

Cold Spring Harbour? अगर अमेरिका की बात हो तो?  

और Skovde? अगर यूरोप की बात हो तो? 

अगर उस पर Laboratory भी जोड़ दें तो?

Cold Spring Harbour Laboratory? New York? 

यहाँ का मीडिया कल्चर कैसा है?

ये इतने गर्म प्रदेश वाले निवासियों को कहाँ और कैसे कोल्ड में पँहुचा रहे हैं आप? वैसे ये रिसर्च इंस्टिट्यूट भी रौचक जगह होती हैं। इनमें भी राजनीती ऐसे ही चलती होगी, जैसे किसी भी यूनिवर्सिटी में? कहीं तो शायद उससे भी ज्यादा? जितने खुरापाती दिमाग, उतनी ही ज्यादा खुरापात? 

चलो, थोड़ी-सी Cold Spring की सैर पे चलें? 

Rob के साथ? 

थोड़ा संगीतमय तरीके से Genetics या थोड़ी Molecular?

या शायद थोड़ा बहुत इस इंस्टिट्यूट का मीडिया कल्चर भी पढ़ें?   

जल्दी ही वापस आ जायेँगे। 


Musical Cold?
या Molecular Cold?
  
Selfish DNA?
Or 
Inheritence? 
Or 
जैसे कोई गाना याद आ रहा है मुझे तो? 
It's set in my DNA?  
इसे आगे और पढ़ेंगे Political infection in Science?
Or Research Politically infected?
And targetting whom?    

तो वापस, आसपास की ही बात करें?     

जैसे आपके घर की दीवारें और फर्श बोलते हैं? राज देखो वो कैसे-कैसे खोलते हैं? जैसे कोई पथ्थरों को तोड़ रहे हैं या रहा है? और कोई पथ्थरों को पूज रहे हैं? कोई उन्हें दिवार में सजा रहे हैं? और कोई, पानी की टंकी के पास? या पथ्थर के ऊप्पर हीटर? कोई FLY कर रहा है या करवा रहा है? और कोई FLY को दिवार पर पेपर-सा टाँग रहा है? 

या शायद तार पर फोटो-सा? 



कोई राजदरबार के महल सजाए हुए है या हैं? और कोई? उन राजदरबारों को पेपर बना दिवार पर टाँग रहा है? कोई मैट्रेस पर सोने को बोल रहा है, जैसे Deep sleep? 

तो कोई साँड़ सोवेंगे ईब इह पै? और कोई चारपाई को खाटू से जोड़ रहा है? Khatu? और उस चारपाई के पावे 3-1 या 4? 

क़ोई C rypto, तो कोई?   

तो कोई D emocracy या ictatorship? 

ऐसे ही जैसे, कोई leptocracy प्रधान है?

कोई M onarchy प्रधान है?   

तो कोई O ligocracy? और भी पता नहीं क्या क्या? 

वैसे ही जैसे कोई Co ld  प्रधान भी हैं? अब वो positively cold हैं या negatively? वो भी शायद अलग-अलग मामला हो सकता है? 

leptocracy प्रधान?

ABCDs of Views and Counterviews? 35

मीडिया कल्चर किसी भी समाज का कैसा है? कैसे जाने?

आपके यहाँ धर्म बहुत अहम है? समाज में छुआछात है? और धर्म के ठेकेदार भी हैं? ठेकेदार जो ये निर्णय करते हैं की कौन धर्मी हैं और कौन अधर्मी? भगवान भी एक नहीं, बल्की, शायद उतने ही हैं जितनी जनसँख्या? और हर कोई, किसी न किसी तरह अलग मत रखने वाला? ये तो बहुत ही खतरनाक किस्म का धर्म नहीं है? ये भगवान अपनी खास तरह की  स्वार्थ सिद्धि के लिए बने हैं? शायद, अपने अवगुण छिपाने के लिए? और अपनी भक्त जनता को, अपने किस्म के अवगुणों का चोला उढ़ाने के लिए?

आपके यहाँ कितने मंदिर हैं? किन-किन देवताओं के? कभी उनके भजन सुने ध्यान से? अगर नहीं, तो सुनके देखना। अगर दिमाग से सुनोगे, तो पता चलेगा की वो एक दूसरे से भिन्न कैसे हैं? क्या खास हैं उनमें? या क्या खतरनाक है, जो वो समाज को परोस रहे हैं? भगवान या भगवान के मंदिर और खतरनाक? पाप लगेगा? हैं ना? लगा हुआ है मुझे तो। तब से, जब से इनके और इन जैसों के खिलाफ बोलना शुरु किया। कब? जब पता चला कोई 3 बच्चों का बाप एक बच्ची को बहला-फुसला कर कहीं लेकर जा रहा था। और लड़की के घर वालों ने या कुछ अपने कहे जाने वालों ने उस बच्ची को मार दिया। अरे। ये तो बहुत पुरानी बात है। है ना कौशिक? कब की? क्यों मना किया था तुमने की ऐसी खबरें कहाँ से रिपोर्ट नहीं करते? कोई विजय साथ नहीं था शायद उसमें? मगर अपनी बहन को बचा भी कहाँ पाया? हाँ। उसके बाद पुलिस में जरुर लग गया?   

उसके ढाई-तीन दशक बाद आपने ऐसा-सा कुछ ना सिर्फ खुद भुगता या आसपास कुछ लोगों को भुगतते हुए पाया, बल्की इन भागवानों से और ज्यादा नफरत हो गई। 
उसपे जब ये पता चला, की तुम कैसे हायर एजुकेशन के इंस्टिट्यूट में हैं जो आपको पढ़ने-लिखने की या ऐसा माहौल देने की बजाए धकेल रहा है, कहाँ? और कैसे-कैसे स्टीकर चिपकाने वाले महान IAS, IPS, Scientist, Professors या  Defence Officers हैं? फिर न्यायपालिका? वो तो लंजू-पंजू है? बेचारी है न्यायपालिका? उस बेचारी न्यायपालिका के पास कोई अधिकार ही नहीं है?  

दीदी आपको पता है, उन शंकर क्यां न अपनी छोरी मार दी? शंकर? अरे ये कौन-से शंकर हैं जो आज तक ऐसा इतने खुले आम करने की हिम्मत रखते हैं? 
और कहीं से जैसे आवाज़ आती है, की ये कहीं न कहीं आपके अपने हैं। 
अपने?  
शंकर भगवान वाले। शिव वाले। खाटू श्याम वाले। 
क्या? 
एक ना होकर भी एक जैसे ही हैं। 
मतलब?
साथ में महाबली, हनुमान और गणेश को भी जोड़ लो। 
क्या बक रहे हो तुम?

जबरदस्त खिचड़ी है, अपनी-अपनी तरह के स्वार्थों की या कहो की कुर्सियाँ पाने की। आम आदमी का फद्दू बनाकर। सब राजनितिक घढ़ाईयाँ हैं। वक़्त के अनुसार, राजनीती इन घड़ाईयोँ में हेरफेर करती रहती है। कहीं के भी जनमानष को मानसिक रुप से भेदने का अचूक साधन हैं ये भगवान, गुरु वगरैह। इससे ज्यादा कुछ भी नहीं। 

एक तरफ, वो बिमारियाँ और मौतें घड़ रहे हैं, वो भी ऐसे की कैसे हुआ है ये आम लोगों को खबर तक ना हो। और दूसरी तरफ, खेल, जुआ, जिसमें खास तरह के स्टीकर चिपकाने हैं, सामने वाले पर, दिखाना है, बताना नहीं के तहत?
एक ऐसा जुआ जिसमें बच्चा पैदा करने की राजनितिक प्रकिया, अपने ड्रामे की गोटी की पैदाइश के पहले के किर्याकल्पों से लेकर, पैदा होने के बाद तक की कहानी को, कितने ही लोगों की मौतों तक को बताकर रचना है? नहीं, बताकर नहीं, दिखाकर। देखो, इतने मर गए? जहाँ बच्चे क्या, औरतें क्या, बुजुर्ग क्या, सब गोटी हैं? वो बच्चा भी गोटी, वो भी वो, जो अभी पैदा तक नहीं हुआ? कहाँ ड्रामे या जुए के नंबर और कहाँ हकीकत की ज़िंदगानियाँ? जैसे इंसान, इंसान नहीं गाजर-मूली हो?   

कैसी आदमखोर राजनीती है? और अपने आपको सबसे शिक्षित, सभ्य और ऊँचें दर्जे का कहने वाला ये वर्ग भी इसमें पार्टी है? शायद? किसी न किसी रुप में?
जानने की कोशिश करें आगे?                      
                         

Monday, February 17, 2025

ABCDs of Views and Counterviews? 34

LA? या LX?

या एलेक्स? Alex


ऐसे ही जैसे 

Rat?

Or

Rabbit?

Or

Mouse?


Buffalo या Cow?

बेन? Ben 

या बहन? Bahan  


ऐसे ही जैसे 

माइक्रोसॉफ्ट? Microsoft  

या 

गुगल? Google  

Hi5? 

या 

Orkut? 

या 

Facebook?


Friend?

या  

Fan?

या  

AC?  

या 

AD? 

या 

Co?

Coin?

Cold?


ऐसे ही जैसे 

Maize?

Or 

Corn?


Hydra?

Or

Hybrid?

Popcorn?


तो बच्चों वाली abcd पर हैं हम अभी? 

यहाँ से आप हायर एजुकेशन या रिसर्च वाली जुबान या भाषा या बोली(?) पर भी शायद ऐसे ही जा सकते हैं, जैसे आपके फ़ोन में किसी गेम के पहले, दूसरे या किसी और स्तर पर। 

मगर किताबों, पेपरों या मोबाइल या लैपटॉप पर वीडियो गेम्स से आगे, एक और जहाँ है। हमारा समाज, जहाँ हम रहते हैं और अपनी रोजमर्रा की ज़िंदगी जीते हैं। आपके आसपास की उस ज़िंदगी में क्या हो रहा है? कैसे और क्यों हो रहा है? आप खुद कर रहे हैं या कोई और? या कितना आपकी ज़िंदगी आपके अपने कंट्रोल में है और कितनी आपके सिस्टम के? मीडिया कल्चर आपके यहाँ का कैसे आपको या आपकी ज़िंदगी के हर पहलू को कंट्रोल कर रहा है?   

3 Idiots देखी है? अगर हाँ तो कैसी मूवी है? उसमें एक बड़ा ही अजीबोगरीब-सा सीन है। पेपर हो रहे हैं और पपेरों की चोरी भी? बारिश हो रही है और किसी स्कूल के ऑफिस से पेपर चुराए जा रहे हैं? या फिर बच्चा पैदा करवाया जा रहा है? ऐसे भी कभी होता है? आजकल दिल्ली में कहीं कुछ ऐसा ही तो नहीं चल रहा? अरे नहीं, वहाँ तो कुछ और ही किस्म की मारकाट-सी चल रही है शायद? पीछे कुम्भ के मेले में भी ऐसा कुछ ही तो नहीं हुआ?

ये सब राजनीती के या मूवी के स्तर पे कुछ ज्यादा ही बढ़ा-चढ़ा दिया शायद? तोड़मोड़, जोड़, घटा, भाग या गुना करके? कुछ का कुछ और ही बना दिया शायद? मगर, क्या हमारी अगली पीढ़ी सच में ऐसे ड्रामों के साए में पैदा हो रही है? उसकी पैदाइश पे भी मोहर ठुक कर आती है? और जन्म सर्टिफिकेट से लेकर, आगे की हर ID, ऐसे से ही कोढों के साथ मिलेगी? मिलेगी? नहीं, ऐसा तो कब से हो रहा है?   

मगर क्यों?

अच्छा कौन-सी जनरेशन के मानव रोबॉट हैं आप? और कौन सी कंपनी के?   

क्या हम मशीन हैं? जिन पर ये मशीनी युग, यूँ मोहरें ठोक रहा है? और फिर इन इंसान रुपी मशीनों की ज़िंदगियाँ, ऐसे ही उत्पादों की तरह चलेंगीं? चलेंगी? नहीं आपकी भी ऐसे ही चल रही हैं। जैसे पैदाइश वाली कंपनी का रिमोट, जुए के खेल-सा गोटियों को चलाता है? क्यूँकि, खेल के हर अगले स्तर पर वो अपनी मोहर ठोक रहा है, ID के कोढ़ के रुप में। पैदाइशी ही बच्चे को किसी खास तरह की कैटेगरी में रख देना जैसे। 

ABCDs of Views and Counterviews? 33

आदमी और मशीन आमने-सामने? Human Beings and Human Being?

आदमी संवेदनशील जीव है। हालाँकि, उसका शरीर भी, एक तरह की मशीन ही है। और आदमी द्वारा बनाई गई मशीनें? वो अभी उतनी सवेंदनशील नहीं हुई। वो आदमी की ज़िंदगी को आसान बनाने के लिए बनाई गई हैं? मगर लालची इंसानों ने आदमी को मशीनों की तरह, और मशीनों को या प्रयोग करने के निर्जीव संसाधनों को आदमी की तरह या जगह प्रयोग करना शुरु कर दिया।   

ये मशीन कौन है? या हैं? ये मशीने कैसे बनती हैं? इन्हें कौन बनाता है? या बनाते हैं? कैसे बनाते हैं? ऐसी-ऐसी और कैसी-कैसी मशीने बनाने के लिए क्या-क्या और कैसी-कैसी जानकारी चाहिए?   

सब जीव अपने आपमें किसी ना किसी तरह की मशीन हैं। इन जीवों से प्रेरणा लेकर, कितनी सारी मशीने इंसान ने बनाई हैं? जीवों जैसी मशीने बनाने से पहले, उन जीवों के बारे में कितना कुछ पढ़ा या जाना गया होगा? उनपे कितनी ही तरह के प्रयोग किए गए होंगे? उस सबके बावजूद, आज तक हूबहू वैसी ही मशीन फिर भी नहीं बना पाया है इंसान। खासकर, जटिल जीवों के केस में। मगर कोशिशें जारी हैं। कुछ केसों में शायद कुछ जीवों से बेहतर भी बनी हैं? कई जीवों के जरुरत के गुणों को एक ही मशीन में घड़ कर। Genetic Engineering कुछ-कुछ, ऐसा-सा ही विषय है। Robotics भी? Computer Science या AI भी? और इन जैसे कितने ही विषयों की खिचड़ी से बना Social Engineering भी? जिसमें राजनीती और टेक्नोलॉजी या बड़ी-बड़ी टेक्नोलॉजिकल कम्पनियाँ अहम भूमिका निभाती हैं?   

इन सबका भला संविधान से क्या लेना-देना? मगर पीछे थोड़ा शंशय हो गया संविधान पे? आखिर, ये संविधान है क्या? कितनी तरह का है? और उन कितनी तरह के संविधानों के कोढ़ क्या हैं? बोले तो हमें तो इन कोढ़ वाले संविधानों का abcd भी नहीं पता? फिर ये कैसे पता होगा, की वो हमारी ज़िंदगी को प्रभावित कैसे कर रहे हैं?

एक कहीं किसी ने लिखा K प्रधान। K प्रधान? Klepto cracy? मतलब? चोरतंत्र? ये उन्हीं लोगों की ज़मीन, जायदाद या प्रॉपर्टी या ऐसी कोई सुविधा खा जाता है, जो इनपे विश्वास रखते हैं? Shah BJP जैसे? या कांग्रेस भी? या?   

B प्रधान Bluechip? Brew? Black?          

C प्रधान? Crypto? Coin भवसागर? Trump जैसे?  

D प्रधान?  Demo? Dictato? Kamla Harris जैसे?  

E प्रधान? Electro? Electric?  केजरू?  

S प्रधान? State? डॉलर सिंबल status? S के बीच डंडा जैसे?  

O प्रधान? Oligo? ooooooo? 

M प्रधान? Monarch राजे-महाराजे? 

N प्रधान? Nation? 

R प्रधान? Rastra? 

ऐसे तो A से Z तक कितने भी शब्द और मतलब हो सकते हैं? थोड़ा और पढ़ने और समझने की जरुरत है शायद? कितने ही देश और कितनी ही तरह की राजनितिक पार्टियाँ? 

हाँ। इन सबसे जो समझ आया वो ये की आपका अपना नाम और जन्मदिन अच्छा खासा प्रभाव रखता है, आपकी ज़िंदगी में। या कहो की ज्यादातर IDs? आपके नाम के अक्सर या शब्द आपके लिए प्रधान होने चाहिएँ। न की किसी और के। वो फिर कोई भी abcd क्यों ना हो। नहीं तो आपको कोई न कोई पार्टी गलत तरीके से प्रयोग या दुरुपयोग कर रही है। नहीं, शायद इतना भी सीधा साधा नहीं ये अंको का जुआ या चालें या कोढ़ भवसागर? मगर सीधा सा समझने के लिए तो आपके नाम का हर अकसर अहम है। और किस नंबर पर कौन सा अकसर है ये भी?   

ऐसे ही आपका घर का पता अहमियत रखता है। वो आपके नाम है तो आपके लिए सही है। किसी बाप, दादा, चाचा, ताऊ, बहन, भाई, पति, पत्नी या बेटा या बेटी के नाम है, तो आपके लिए शायद बहुत सही नहीं है। और झगड़ों की या अशांति की बहुत बड़ी वजह हो सकती है। और अगर आप इससे भी पीछे कहीं बैठ गए या रह रहें हैं तो? या तो उसे अपने नाम करवाएँ और अपनी सहुलियत के अनुसार उसमें बदलाव करें। नहीं तो? ज़िंदगी ही बेकार है या ख़त्म है समझो। वैसे आप इतनी पीछे जाकर कर क्या रहे हैं? किसने धकाया आपको वहाँ और क्यों? राजनीती के गुंडों ने शायद? वैसे भी दूसरों के बनाए या खरीदे घर में कौन रहता है? बेचारे गरीब लोग? सच में? या शायद बहुत से केसों में ज़मीन खोरों के धकाए हुए? चाहे वो फिर सीधा-सीधा दिख रहा हो या गुप्त तरीकों से धकाया गया हो?  

अपना घर होने के साथ काफी कुछ और भी है जो अपने आप आपकी ज़िंदगी को प्रभावित करता है। जैसे घर का नंबर? वो तो है ही। जैसे मीटर? बिजली का वो छोटा-सा मीटर क्या सच में इतनी अहमियत रखता है? यकीं नहीं हो रहा, मगर मुझे तो ऐसे ही लगा। मीटर जो इलेक्शन तक का अहम मुद्दा हो? कब लगा? किसके नाम है? या बिल कौन भर रहा है? या बिल कितना आ रहा है? ये सब भी किसी की ज़िंदगी को प्रभावित कर सकता है क्या? मीटर आपके नाम है या किन्हीं पुरखों के नाम? बिल आप भर रहे हैं या पुरखे? या शायद पुरखों के नाम भी नहीं? वहाँ भी नाम बदल दिया? अरे भई अगर बिल आप भर रहे हैं तो मीटर भी अपने नाम ही क्यों नहीं करवा लेते? किस राम का या कुमार का मंदिर या मस्जिद बनवा रहे हैं आप? जो पुरखे अब दुनियाँ में नहीं हैं, उनका भी बिल आप भर रहे हैं? क्यों? वो अपना तो अपने ज़िंदा रहते ही नहीं भर गए? कहीं आपका शिकार तो नहीं हो रहा है? कोई गुप्त-गुप्त पार्टी, अपने कांडों को आपके पुरखों जैसे से लगने वाले नाम पर आपको बहलाकर या किसी भी ID में रखकर, आपका फद्दू तो नहीं काट रही? इसीलिए वहाँ अनिल कपूर की deep sleep advertisement वाला मैट्रेस्स और ऐसे ही किसी वक़्त बना बैड भी पहुँच गया? और माँ को किनकी खाटू-लीला वाले तिपहिये पे टाँग रखा है? तिपहिया? लगता है गाड़ियों के पहिए पंचर या बदलने का काम भी तो नहीं दे दिया किसी ने किसी को? चौथा पहिया कुछ अलग है क्या? खाट का या गाडी का? क्यों? गाडी कैसे चलेगी? इसे बीमारी बाँटना या प्रोशना भी तो नहीं बोलते?        

अपना नाम हर जगह एक ही रखें। ऐसे ही अपने बच्चों का। कहीं ऐसा तो नहीं, की इस ID में ये है और उस ID में कुछ और? आज के वक़्त में कोई खास प्रिंट गलती नहीं होती। ज्यादातर ऐसी-ऐसी गलतियाँ, राजनितिक पार्टियाँ अपने फायदे के लिए करती हैं। 

जैसे दमयंती की जगह दयावंती?

जैसे पूनम की जगह रवीना?

जैसे विजय की जगह? विजया? 

जैसे दांगी की जगह सिंह? 

या सिंह की जगह कुमार या कुमारी?

चौधरी की बजाय चो या चो.? 

कहीं गुप्त-गुप्त गालियाँ? और कहीं? और भी कितने ही उदाहरण भरे पड़े हैं आसपास। अब इतना भी कौन ध्यान देता है? 

सुना है, जहाँ-जहाँ इन्होंने बहनों को घर बिठाया, वहाँ-वहाँ भाईयों के बिगड़े सँवारने थे या हैं? ऐसे भी होता है क्या?  चलो वो तो सही। मगर कुछ केसों में उल्टा भी हुआ। मतलब, राजनितिक पार्टी के फायदे पर निर्भर करता है की उसका फायदा किसमें है? ऐसे ही भाइयों को या बुआ वगैरह को? और ऐसे ही उनकी ज़मीन वगरैह के साथ किया? जिनको फायदा होने वाला था, वहाँ बीवी ही उड़ा दी। और जिसका बसने वाला था, उसकी ज़मीन ही छीन ली, जो भी छोटा मोटा ज़मीन का टुकड़ा उसके नाम था? ये एक और दो प्रधान नंबर हैं और ये सब किया है 3 प्रधान वालों ने? कहीं कुछ उल्टा तो नहीं कर दिया? या शायद कहना चाहिए R और A प्रधान वालों ने? थोड़ा उलझ-पुलझ हो गया ये तो? शायद A U R? इसे कैसे समझें? या शायद थोड़ा जटिल है, इतना सीधा नहीं?           

कुछ एक केसों में ऐसा कुछ भी हुआ क्या, की किसी बहन को कहा गया हो की तू वो जमीन अपने नाम करवा ले। चाहे उसे वहाँ दो दिन रहना हो? जबरदस्ती जैसे? और अगर वो ऐसा करने से मना कर दे तो? काँड रचो? आपसी फूट रचो? या उस जमीन के जितने हिस्से को हड़प सको, हड़प लो?

या फिर बोलो, बाहर भाग? बाहर? घर से बाहर? देश से भी बाहर? आईडिया तो अच्छा है?

सुना है, यूनिवर्सिटी में वापसी हो रही है? Interesting? बुलडोज़र जी, वो साइको वाले किधर हैं? बुलाओ उन्हें? वापसी? जैसे रेखा गुप्ता, दिल्ली CM? कुछ सही बोल लो?       

बोले तो ये लड़की पागल है, पागल है? या? 

फेंकम फेंक? या तर्कसंगत?                 

ABCDs of Views and Counterviews? 32

मान लो, Ajit, Modi की बहु (Wife) है। कुछ और नाम भी हो सकता है। जैसे शँकरा? और Vijay, अजीत या शँकरा का भाई। मतलब, मोदी का साला (Brother in law)?

अब एक मोदी भारत (Bharat का, India का नहीं) का PM भी है। PM है, AM नहीं। जैसे वक़्त होता है, सुबह है या श्याम? मोदी की पत्नी का नाम Jasodaben है। अगर गाली देनी हो तो आप अपनी बहन को बेन भी बोल सकते हैं। सुना है, मोदी ने अपनी पत्नी को जैसे गाली दी हुई है। नाम मात्र का या दिखाया मात्र-सा रिस्ता जैसे? सुना है, पहले के जमाने में ऐसे होता था? घर वाले किसी को ले आए अपने बेटे या भाई की दुल्हन और मौका मिलते ही दूल्हा भाग गया? या शायद कुछ केसों में ऐसी कोई दुल्हन भाग गई? लापता लेडीज जैसे? लोगों ने कितना ही बुलाने की कोशिश की, आया ही नहीं या आई ही नहीं? कोई आपको कहे, की फलाना-धमकाना को बेन (बहन?) बोल के आना है? आप शायद दीदी, बेबे वगरैह कुछ बोलते हों? बहन का मतलब भी वही होता है। मगर, बेन? लगता है अंग्रेज कोई गाली दे रहे हैं? या भारत वाले किसी अंग्रेज को? थोड़े और खड़ुस हों तो वो बेन से आगे भी पहुँच सकते हैं? जैसे बेन चो. .. जैसा कुछ? और फिर गोविंदा-गोविंदा (Go v in da?) जैसा-सा कोई भजन भी गा सकते हैं? या बाई (B AI?) भी बोल सकते हैं? बाई भी गाली? अब ये अंग्रेज किसी को दे रहे हैं? या कोई अंग्रेजो को या किसी और को? तो ये अजीबोगरीब दुनिया है और इसकी गालियॉँ भी कितनी ही अजीबोगरीब हो सकती हैं। खैर, कोई गाली दे रहा है या दे रही है तो आपको थोड़े ही लगती हैं। गाली देने वाला अपनी जुबान ख़राब कर रहा है? या शायद कुछ और भी बता रहा है? कहीं वो अपने आप को ही तो नहीं दे रहा?             

आप किसको क्या सम्बोधन करते हैं या कैसे या क्या कहकर आशीर्वाद देते हैं या कोई भी आम बोलचाल की भाषा भी आपकी नहीं है? तो किसकी है? उस वक़्त के वहाँ के सिस्टम की? राजनीती की? जो आपकी जानकारी के बिना गुप्त तरीके से उसमें बदलाव लाते रहते हैं?

जैसे एक दिन यूनिवर्सिटी में कोई मीटिंग थी और लस्सी आ रही है, पानी की बजाय? अरे। बड़ी गर्मी है, ये तो अच्छा बदलाव है? वो भी हमारे यहाँ की गर्मी को देखते हुए। लस्सी ठंडी होती है ना। खैर। आपको गुस्सा आया हुआ है, तो लस्सी थोड़े ही वो गुस्सा ठंडा कर पाएगी? यूँ लगेगा फैला रहे हों रायता जैसे, कैसी-कैसी कुर्सियों पर बैठकर? शिकायत क्या की हुई है, और बकवास क्या चल रही है? कोई ड्रामा शायद? 

फिर कहीं आप साइको डिपार्टमेंट पहुँचे हुए हों और बड़ी ही शालीन-सी, कूल-सी दिखने वाली स्मार्ट-सी डॉक्टर, गुलाबी से रंग का कुछ पी रही हैं। रूह अफ्जा सा? अब ये क्या आ गया? गर्मी है तो? तरीके हैं सबके, अपने-अपने गर्मी से राहत पाने के? या ये राजनितिक साँग चल रहे हैं? गुलाबी गैंग जैसे? वो भी इतना स्मार्ट और सोफिस्टिकेटेड? या P in k जैसे?   

या कोई किसी मीटिंग में बोले उपासना (Up aasna?) करते हो? 

जी उपासना? आपने शायद शब्द ही पहली बार सुना हो? 

व्ययाम (Vyayam) या योगा (Yoga) सुना है?

जी। 

ऐसा ही कुछ होता है। 

उसके बाद आपको ध्यान आएगा, उपासना कौन बोलते हैं या करते हैं और व्यायाम या योगा कौन? या शायद Stadium कौन जाते हैं और Gym कौन? कोई इस शहर, कोई उस शहर? कोई इस गाँव या कोई उस गाँव? कोई इस देश और कोई उस देश? कहाँ किसका प्रचलन है या ज्यादा है? दुनियाँ भर में एक शब्द, किसी एक ही कोड की तरफ इशारा जैसे? या जगह के अनुसार राजनीती और सिस्टम बदलता रहता है? मगर फिर भी वो वहाँ के सिस्टम या राजनीती के बारे में बहुत कुछ बताता है। 

अब आप कौन से व्यायाम या योगा या उपासना करते हैं? कैसे करते हैं? कितनी देर करते हैं? कब करते हैं या नहीं करते हैं? किसके या किनके साथ करते हैं? ये भी वहाँ की राजनीती या सिस्टम के कोड का हिस्सा हैं। 

आप कहाँ या किस जगह या घर में रहते हैं, क्या वो आपके पतले, फिट या मोटे होने के बारे में भी कुछ बताते हैं? वैसे ही जैसे बिमारियों के बारे में?    

आपके बोलचाल से लेकर, खाना पीना, पहनना या किसी खास तरह का व्यवहार भी आपके यहाँ के Media Culture के बारे में काफी कुछ बताता है। उसी में आपकी समृद्धि या रुकावटें, स्वास्थ्य या बीमारियाँ और उनके ईलाज तक छुपे होते हैं। 

वैसे शब्दों की हेराफेरी थोड़ी बहुत तो समझ आ गई? सुना है, ऐसे ही कहीं का भी देश या सविंधान है। जैसे?  

Saturday, February 15, 2025

ABCDs of Views and Counterviews? 31

दुनियाँ में सिर्फ उतनी ही किस्म की बिमारियाँ हैं, जितनी कहीं की भी राजनीती या सिस्टम ने पैदा की हैं। न उससे कम और न ही ज्यादा। अगर कहीं की राजनीती कहती है की ये बिमारी है तो इसका मतलब? वो बिमारी हो या ना हो, मगर वो उसे पनपाने की कोशिश जरुर करते हैं।   

ऐसे ही जैसे दुनियाँ में कितनी तरह की छीनाझपटी या गुंडागर्दी है?

एक तो पीछे देखा-सुना बुलडोज़र राज? किनको उजाड़ के किनको बसा रहा है ये बुलडोज़र राज? या किसे बसाया? घरों को उजाड़ के मंदिर? घर ही मंदिर नहीं तो मंदिर के रोड़ों, पथ्थरों या ईंटों में क्या होगा? ऐसे-ऐसे मंदिर या मस्जिद या कोई भी so called उजाड़ु धर्मात्मा मुझे तो? राक्षस से कम नहीं नज़र आते। ये कैसा धर्म और किसका धर्म? अच्छा, उन्होंने किसी को उजाड़ के वहाँ अपना बनाया? धर्म परिवर्तन? या सिर्फ राजनीती और लूटखसौट? 20-25 साल से जिनके साथ ये हो रहा था, तुमने तो सुना है उन्हें भी उखाड़ फेंका? मारकाट? हिंसा? किस धर्म में जायज़ है? तरीके तो और भी बहुत हो सकते हैं? मतलब धर्म-वर्म कुछ नहीं, घटिया राजनीती। या महज़ कुर्सियों के लिए मारकाट?

बीजेपी मंगलसूत्र अहम बताया? भला ऐसे काँड धरे मंगल के यहाँ, तो मंगल होना ही चाहिए? या? ये किसी और मंगल सुत्र की बात है? अरे वो संविधान? जिसमें लड़कियों को मारा-पीटा जाता है? धोखाधड़ी से यहाँ से वहाँ फेंका जाता है? और सुनो पढ़ाई-लिखाई कुछ नहीं होती। शिक्षा-विक्षा क्या बला है? शिक्षा संस्थानों में पढ़ने-पढ़ाने कौन जाता है? धर्म के नाम पर अधर्म, छुआछात और मारपिटाई या धोखाधड़ी करने जाते हैं? झुठे-सच्चे नंबरों की दौड़ में, हमारे बड़े-बड़े संस्थान? सब जायज़ है? मंगल सूत्र संविधान का हिस्सा है, मगर अगर आप शादी शुदा नहीं हैं तो? या बच्चे नहीं हैं तो? कौन से अधिकार? कैसे अधिकार? किसके अधिकार? जिसकी लाठी उसकी भैंस का नाम ही संविधान है। 

वैसे कितनी तरह के संविधान हैं दुनियाँ में? शायद आपने भी कभी नहीं पढ़ा हो? जानने की कोशिश करें? वैसे ज्यादातर सुना है Transectional हैं? बड़े ही अजीबोगरीब तरीके के? बड़े ही अजीबोगरीब कोढ़ो वाले? जानते हैं आगे।     

ABCDs of Views and Counterviews? 31

दुनियाँ में सिर्फ उतनी ही किस्म की बिमारियाँ हैं, जितनी कहीं की भी राजनीती या सिस्टम ने पैदा की हैं। न उससे कम और न ही ज्यादा। अगर कहीं की राजनीती कहती है की ये बिमारी है तो इसका मतलब? वो बिमारी हो या ना हो, मगर वो उसे पनपाने की कोशिश जरुर करते हैं।   

ऐसे ही जैसे दुनियाँ कितनी तरह की छीनाझपटी या गुंडागर्दी है?

एक तो पीछे देखा-सुना बुलडोज़र राज? किनको उजाड़ के किनको बसा रहा है ये बुलडोज़र राज? या किसे बसाया? घरों को उजाड़ के मंदिर? घर ही मंदिर नहीं तो मंदिर के रोड़ों, पथ्थरों या ईंटों में क्या होगा? ऐसे-ऐसे मंदिर या मस्जिद या कोई भी so called उजाड़ु धर्मात्मा मुझे तो? राक्षस से कम नहीं नज़र आते। ये कैसा धर्म और किसका धर्म? अच्छा, उन्होंने किसी को उजाड़ के वहाँ अपना बनाया? धर्म परिवर्तन? या सिर्फ राजनीती और लूटखसौट? 20-25 साल से जिनके साथ ये हो रहा था तुमने तो सुना है उन्हें भी उखाड़ फेंका? मारकाट? हिंसा? किस धर्म में जायज़ है? तरीके तो और भी बहुत हो सकते हैं? मतलब धर्म-वर्म कुछ नहीं, घटिया राजनीती। या महज़ कुर्सियों के लिए मारकाट?

बीजेपी मंगलसूत्र अहम बताया? भला ऐसे काँड धरे मंगल के यहाँ, तो मंगल होना ही चाहिए? या? ये किसी और मंगल सुत्र की बात है? अरे वो संविधान? जिसमें लड़कियों को मारा-पीटा जाता है? धोखाधड़ी से यहाँ से वहाँ फेंका जाता है? और सुनो पढ़ाई-लिखाई कुछ नहीं होती। शिक्षा-विक्षा क्या बला है? शिक्षा संस्थानों में पढ़ने-पढ़ाने कौन जाता है? धर्म के नाम पर अधर्म, छुआछात और मारपिटाई या धोखाधड़ी करने जाते हैं? झुठे-सच्चे नंबरों की दौड़ में, हमारे बड़े-बड़े संस्थान? सब जायज़ है? मंगल सूत्र संविधान का हिस्सा है, मगर अगर आप शादी शुदा नहीं हैं तो? या बच्चे नहीं हैं तो? कौन से अधिकार? कैसे अधिकार? किसके अधिकार? जिसकी लाठी उसकी भैंस का नाम ही संविधान है। 

वैसे कितनी तरह के संविधान हैं दुनियाँ में? शायद आपने भी कभी नहीं पढ़ा हो? जानने की कोशिश करें? वैसे ज्यादातर सुना है Transectional हैं? बड़े ही अजीबोगरीब तरीके के? बड़े ही अजीबोगरीब कोढ़ो वाले? जानते हैं आगे।     

Monday, February 10, 2025

ABCDs of Views and Counterviews? 30

Beyond Theatrics and Killer Politics? 

आपको उनकी कहानी नहीं पता और उन्हें आपकी। क्यूँकि, सालोँ या दशकों से ना आप उनसे मिले और ना वो आपसे। और ना ही इस दौरान कोई खास खबर एक दूसरे की। 

मगर, किसी खास वक़्त वो out of nowhere जैसे, आपसे मिलते हैं। उनकी ज़िंदगी के उतार-चढ़ाव जानकार, हादसे या बीमारी जानकार आपको लगता है, ये तो?

जैसे घढ़ा हुआ-सा है? किसी फ़िल्मी-सी या सीरियल-सी, कहानी-सा लिखा हुआ जैसे? और वो उन्हीं लिखे हुए किरदारों-सी सिर्फ कहानी भर है? लिखी हुई कहानी-से किरदार? मगर ये किसी एक इंसान के बारे में नहीं है। ये तो जिससे भी मिलो, उसी की कहानी जैसे? ये लोग किसी खास वक़्त या दिन ही आपको क्यों मिलते हैं? इनकी कहानियाँ कैसे और कहाँ मिलती हैं? इन्हें कौन भेजता है? और फिर दूसरी तरफ क्या ड्रामे चलते हैं? दोनों तरफ ड्रामे एक ही पार्टी चलाती है या अलग-अलग पार्टियाँ?  

घर चाहिए? ये तरीका है?

नौकरी चाहिए? ये तरीका है?

अप्लाई ही नहीं करोगे, तो कैसे मिलेगा? 

Terms and Conditions Apply. 

किसी को अपने पैसे चाहिएँ। वो नहीं सुना आपने? 

इनसे आगे?

तुम्हारे कौन से पैर पे, कौन-सी जगह वो छोटी-सी गाँठ है? कब से? एक्सीडेंट? डिपार्टमेन्ट में बिल्कुल उसी जगह किसे थी? और आगे क्या हुआ?

ये जो हैं, इन्हें ये दिक्कत है। कौन से पैर पे, कहाँ और क्या खास है? और अब क्या चल रहा है? आसपास और भी कोई ऐसे-से केस हैं? 

इन केसों में कोई पैटर्न है क्या? क्या कोड है या हैं ये? Fraud? कितनी ज़िंदगियों के साथ?   

कहाँ रहने का क्या मतलब है? किसी भी बीमारी को कितना जल्दी proliferate या Trigger या aggrevate कर सकते हैं? कौन-कौन से factors? और कैसे? 

ऐसे ही कौन-से फैक्टर्स बिमारियों को होने से रोकते हैं? या  proliferate या Trigger या aggrevate होने से रोकते हैं या रोकने में सहायता करते हैं? कौन-कौन से factors और कैसे? 

ये दुनियाँ एक राजनितिक रँगमँच है। जिसमें आपको कब क्या होगा, कहाँ होगा और शायद कहाँ नहीं होगा, ये भी है। वो फिर क्या बीमारी? क्या शादी का होना या ना होना? या बच्चे का होना या ना होना। या दूसरी या तीसरी शादी का होना? बच्चों को साथ रखना या ना रखना? क्या शादी का चलना या ना चलना या घसीटना? सब कहीं का भी राजनितिक सिस्टम घड़ रहा है? कैसे अहम है? कहीं का भी सिस्टम, किस हद तक automation पे है? और किस हद तक manual? कुछ एक केसों को उठाकर जानने की कोशिश करें?

Sunday, February 9, 2025

ABCDs of Views and Counterviews? 29

पुनर्जन्म? 

राजनितिक भी होते हैं। और टेक्नोलॉजिकल भी। और दोनों की खिचड़ी पकाकर भी। पुनर्जन्म, वैसे नहीं होते, जैसे आम आदमी आमतौर पर सोचता है। या राजनीती की सुरंगे जैसे, समाज में फैलाती हैं। 

ऐसे ही जैसे जुड़वाँ बच्चे। जुड़वाँ शहर। जुड़वाँ नाम? जुड़वाँ टेक्नोलॉजी। 

जुड़वाँ टेक्नोलॉजी? जैसे Digital Twins. या Physical Twins बनाना टेक्नोलॉजी का प्रयोग करके।   

इसे हम बच्चों की भाषा में सिर्फ नाम से भी समझ सकते हैं। और एक जैसे से दिखने वाले आदमियों, जीवों या निर्जीवों से भी। जैसे विजय? वैसे तो ये लड़के का नाम होता है। इसलिए कोई लड़का भी हो सकता है और थोड़े विरले केसों में लड़की भी। ऐसे ही जैसे दीपक, सुमन। 

एक ही नाम के कई अलग-अलग इंसान? मगर, नाम के अलावा शायद कुछ नहीं मिलता? या शायद थोड़ा बहुत कुछ मिलता भी हो? जैसे वीर, भाई को भी बोलते हैं और वीरता को भी। या वीर किसी बच्चे का नाम भी हो सकता है और बड़े का भी। वो आपके आसपास भी हो हो सकता है और बहुत दूर भी।     

या फिर ऐसे से कुछ कोड भी हो सकते हैं, जैसे 

Vi R इसके आगे और कोई कोड भी हो सकता है या हो सकते हैं। जैसे Virender Sehwag या Virender Singh खेलों के मैदान से।  

या जैसे Vir Das, Comedian  

या Vir Sanghvi, Journalist   

या शायद?    

जुड़वाँ? राजनितिक जुड़वाँ? या बहरुपिये? या एक नाम, अलग-अलग जगहों से, अलग-अलग क्षेत्रों से और हर कोई अपने आपमें अनोखा? क्यूँकि, बायो के हिसाब से तो एक जैसे दिखने वाले जुड़वाँ भी बिलकुल एक जैसे नहीं होते। कम से कम Molecular स्तर पर। और Physiological स्तर पर भी। और भी कितने ही स्तरों पर। क्यूँकि, उनका एनवायरनमेंट और उसको झेलने या उसके साथ एडजस्ट करने का तरीका एक नहीं होता।   

ये Twin Technology क्या है? और कहाँ-कहाँ प्रयोग होती है?

जुड़वाँ पैदा करने में। अब ये जुड़वाँ बच्चों से लेकर, किसी भी तरह की मशीन या फिर बहुरुपिए से फेस-मास्क तक हो सकते हैं। और ये टेक्नोलॉजी  सिर्फ बायोलॉजी के ही अलग-अलग विषयों में प्रयोग नहीं होती, बल्की, और भी बहुत से विषयों में भी प्रयोग होती है।   

ये सिर्फ ऑनलाइन भी हो सकता है और ऑफलाइन भी।  

जैसे आपने आजकल काफी Online Arrest या Fraud और उससे सावधानी के बारे में कहीं न कहीं सुना या देखा तो जरुर होगा? अगर पढ़ा नहीं होगा तो? जैसे पीछे मैंने Online Loan Fraud के बारे में लिखा। One Click Loan. ये लोन की बजाय और कुछ भी हो सकता है। जैसे ऑनलाइन इन्फ्लुएंस होकर फ्रॉड शादी या खरीददारी? और भी कितनी ही तरह के ऑनलाइन धोखे हो सकते हैं। तो उसे Arrest कहेंगे या Attack? या Help? किसी सॉफ्टवेयर का प्रयोग करके, आपके लिए किसी तरह का डिज़ाइन बनाना? जहाँ बहन भाई, माँ बेटा, बुआ भतीजा जैसे रिश्तों की शादी का डिज़ाइन हो? या करवाने की कोशिश हो? या सिर्फ आपका पैसा, प्रॉपर्टी, नौकरी, रिश्ते-नाते, जमा पूँजी या रिटायरमेंट के बाद मिलने वाली सुविधाएँ तक रोकने या छीनने की कोशिश हो? संभव है? या आसपास उदहारण भरे पड़े हैं?   

जैसे Online Arrest या Fraud है, वैसे ही ऐसे-से ही डिज़ाइन का प्रयोग करके, Offline या Physical Arrest भी हो सकता है? Whatever type, why without any information? Without information is known as attack or arrest? किसी भी टाइप का अरेस्ट, वो भी बिना गुनाह बताए या धोखे से या जाल में फँसाकर? क्यों?

ऐसे ही वो लोगों को उनकी जानकारी के बिना Physically या Mentally Arrest करते हैं। जिनका उद्देश्य आपकी सेहत से खेलना होता है। आपको बीमार करना होता है। या शायद दुनियाँ से ही उठाना भी। कैसे? महारे बावली बूचाँ के अड्डे, अर घणे श्याणे? वही सब देख समझकर लिखा जा रहा है। सबसे बड़ी बात, इस जाल में सिर्फ कम पढ़ा लिखा ही नहीं, बल्की, अच्छे खासे पढ़े लिखे Bioprocessing और Microbiology, Genetics, Biochemistry या Chemistry तक के subject experts हैं। या यूनिवर्सिटी या मेडिकल तक में लगे हुए प्रोफेसर्स। ज्यादातर जानकारी के अभाव में? ऐसे कैसे? आज के दौर में टेक्नोलॉजी जितनी तेजी से आगे बढ़ रही है, उस गति से उसके दुष्परिणामों की जानकारी या उसे रोकने के तरीके नहीं? ज्यादातर विषयों के जानकार अपने विषय तक सिमित होते हैं। उन्हें किसी भी टेक्नोलॉजी का, उसी जैसा-सा कॉपी डिज़ाइन, दूसरे विषयों में या समाज या सिस्टम तक डिज़ाइन करने में हो सकता है या हो रहा है, इसका अहसास तक नहीं होता।  

सबसे बड़ी बात, जिनके पास ये जानकारी है या जिन्हें इस जानकारी का फायदा है, वो चाहते भी नहीं, की ये सब इन अपने-अपने विषयों के जानकारों तक को इतनी आसानी से पता चले? वो क्यों चाहेंगे? या शायद कुछ एक अपनी ज़िंदगियों को खतरे में रख कर भी, कहीं न कहीं लीक कर रहे हैं? हर जगह, हर क्षेत्र में हर तरह के लोग हैं?

ABCDs of Views and Counterviews? 28

खँडहर ? Delhi Election and Dramas?

07.02.2025

Van और खँडहर?

कैसा शौर आ रहा है ये? 

4?

5?

6?

7? 

7 कड़ियों पे चौखट धर दी? और दूसरी तरफ? वही काला पाइप खूँटी पे टँगा पड़ा है, अभी तक। 

चाचा भतीजा। 

नमस्ते भैया। 

नमस्ते। 

आज फिर यहाँ कुछ काम होना है?

हाँ, करवा देते हैं थोड़ा-सा। 

भतीजा आज दूर-दूर है। फ़ोन पे लगा हुआ है। कोई नमस्ते या बात नहीं। 

और लो जी। 

सुबह से श्याम तक 3 ट्रॉली रेत ही पड़ा है। अब तसलों से ढोएंगे तो?          

दो औरतें और दो आदमी झाँसी से ?

एक महारा सतीश खाती?

और?

श्याम को वो 7 कड़ियों पे चौखट और काला पाइप खूँटी पे टँगा हुआ भी हटा दिया?

08. 02. 2025 

आज फिर 2 ट्रॉली रेत पड़ा, जो की गधों ने डाला।  Donkey Route?

एक बड़े से साइज की अजीबोगरीब चौखट भी बाहर आ गई है, बाहर एक पानी की टँकी रखी है, उसके पास।  

पानी की निकासी के लगे हुए पाइप अंदर सॉल में आ गए हैं। सिर्फ एक अभी भी अंदर है। 

और लो जी डंकी परिणाम हाज़िर है?


09.02.2025

आज फिर Donkey Route? चालू है? मगर आज मोदी साइड से नहीं। डालमियाँ विभाग साइड से। 

(No offence or defence खास तरह के नाम राजनीती से निकल कर आते हैं, खास कोढों के साथ।) 

वो एक बचा हुआ पानी की निकासी का पाइप भी, अब सॉल में आ गया है। 

बाहर सब बची-खुची कड़ियाँ और उनके ऊप्पर चौखट बाहर आ गई है। 

वो बड़े से साइज की अजीबोगरीब चौखट, अब दूसरी तरफ चली गई है। समँदर दादा के घर की तरफ।  

क्या है ये सब? और मैं इसे इतने ध्यान से क्यों देख रही हूँ या आपके लिए लिख रही हूँ? सुना है, ये राजनीतिक Day by Day Process है। जो कुछ हर रोज आपके आसपास घटता है। वो सब देखने, सुनने या समझने में कितना ही सामान्य-सा होते हुए भी, किसी न किसी राजनीतिक पार्टी का एजेंडा होता है? या सिर्फ कहीं कुछ चल रहा है, उसको संकेतों में दिखाने की कोशिश भर? या शायद अपने अनुसार हेरफेर कर बढ़ाना-चढ़ाना या अपने अनुसार बदलाव करना? कुर्सियाँ पाने की लिए नंबरों की दौड़?   

इस नंबरों की दौड़ में सभी लगे हुए हैं? मगर, बिना ये जाने की इस दौड़ में आपका, आपके अपनों का या आपके आसपास का  कितना फायदा या कितना नुकसान है?   

Process हर जगह है। तरीका या method किसी भी काम को करने का। कुछ पुराने तरीके, कुछ नए, कुछ दोनों के बीच के। ये Process या किसी भी काम को करने का तरीका या Method आपके घर के कितने ही कामों में है। खेत-खलिहानों में है। और स्कूल, कॉलेज या ऑफिस में भी।  

जन्म और मर्त्यु में भी। स्वास्थ्य और बीमारी में भी। आगे बढ़ने और पिछड़ने में भी। तो आपको जो या जैसी ज़िंदगी चाहिए, उसके लिए काम करो। इन राजनितिक पार्टियों के लिए नहीं। ये राजनितिक पार्टियाँ कमीशन-खोर हैं। फिर चाहे वो कोई भी पार्टी है। ये आपको सिर्फ फायदा चढ़ा-बढ़ाकर दिखाती हैं। नुकसान हमेशा छुपा कर। इसलिए अपने आसपास की राजनीती को समझना भी जरुरी होता है।  जानने की कोशिश करते हैं आगे। 

Saturday, February 8, 2025

ABCDs of Views and Counterviews? 27

Biology Experts (Physiology especially?) 

Animal Biology Experts (पशु-पक्षी ज्ञान विज्ञान) or may be avian, amphibian, creepy crawly creatures, plants and so on?  

Experiments (Err real life happenings? eer designs?)  

दिखाना है, बताना नहीं (Show, Don't Tell)   

एक है Period Extended for AI experimentation? 

और एक है Ovaries removed, no more needed?  


या? ज़मीन के ऊपजाऊ कीड़े मार दिए?  

और एक है vitiligo in plants? 

एक है Heading or lead towards vitiligo? 


एक है माँ मर गई और बच्ची लेट श्याम तक बाहर खेल रही है, जहाँ बहुत-कुछ ऊटपटाँग चल रहा है। 

और एक है, मेरा नाड़ा खोलण आवै सै 

और एक है, नाड़े और जुट की रस्सी से दरवाज़े को पोल पर बाँध कर दरवाज़ा बंद किया हुआ है।  सेफ्टी वॉल्व? मगर क्यों?


एक है माँ के जाने के बाद बच्चे के 4th क्लास के पेपरों के ड्रामे 

और एक है,


एक है 1 मई को श्रमिक दिवस है। अरे नहीं, माँ दिवस है और प्रोग्राम होगा Mother's Day? 

How cruel people could be to such a small child?  

और लो जी बच्चे को पिलिया हो गया दिखाना है और उसे 19 May 2023 को ठीक हो गया का डिस्चार्ज देना है। नहीं, नहीं बीच में ड्रामे के कई step दिखाने हैं। डायग्नोसिस से लेकर डिस्चार्ज तक। 

या किसी का अबॉरशन दिखाना है? चौराहे पै पाँह आ ग्या? 

या पथ्थरी की बीमारी? December Exams Fraud, 2019 और माँ का so called, Gall Bladder Operation. 

उसके बाद मेरा March pain, 2020 और फिर से Stone problem ड्रामे। Corona on? घर पहुँचों, हॉस्पिटल की बजाए और सब सही?   

या कैंसर और पैरालिसिस के केस? और ऐसे ही कोई भी बुखार या कोई और बिमारी। छोटी या बड़ी। 

ऐसे ही मौत भी और उसके आसपास के ड्रामे भी। 

अरे, सिर्फ मौत नहीं, बल्की आत्महत्या भी?

और क्या हो, अगर बहुत कुछ वो आपको दिखाने या समझाने लगें, की ऐसा, ऐसे हो रहा है? यही नहीं, बल्की कहीं-कहीं तो धमकी तक दे दें। ऐसा नहीं किया, तो ऐसा होगा?      

कैसे संभव है इतना कुछ? है क्या?  

सोचो ये सब कब से चल रहा होगा? हमारा समाज या सिस्टम आज के टेक्नोलॉजी के युग में अपने को  कितना ढाल चुका? कितना automated version पर है? और कितना manual?

इस समाज को या सिस्टम को (Social Media Culture Lab) खासतौर पर डिज़ाइन किया जा रहा है? या करने की कोशिशें हो रही हैं? हम ऐसे कुछ एक्सपेरिमेंट्स कर सकते हैं क्या? सोचने में ही कितना खतरनाक लग रहा है ना? मेरे जैसे तो फिर? जो जूलॉजी पसंद होते हुए, बॉटनी सिर्फ इसलिए ले ले, की मुझे जूलॉजी के एक्सपेरिमेंट्स पसंद नहीं। या वश के ही नहीं :( उन दिनों Life Sciences में ज्यादा विकल्प ही नहीं होते थे। 

खैर। इस तरह सिस्टम डिज़ाइन में आज की टेक्नोलॉजी का बहुत बड़ा योगदान है। खासकर डाटा कलेक्शन और उसके एब्यूज का। और ये विषय भी शायद बहुत ज्यादा पुराना है। उससे कहीं ज्यादा पुराना, शायद हम जितना सोचते समझते हैं? 

ऐसे से ही कुछ एक उदाहरण लेते हैं, की किसी भी ऐसे-ऐसे जटिल विषयों को "दिखाना है, बताना नहीं" को कैसे दिखा सकते हैं, बिना किसी को नुकसान पहुँचाय?    

कोई नौसिखिया, अपरिपक्कव या बच्चा कैसे दिखाएगा? 

कोई आधा-अधूरा ज्ञानी उसकी खिचड़ी कैसे पकाएगा?  

और उस विषय वस्तु का माहिर, विशेषज्ञ या ज्ञानी?

They say it's a day by day process. आगे पोस्ट में।    


आपको heat period mucus discharge समझाना है या दिखाना या बताना है? नहीं, बताना नहीं दिखाना है?

आपको dog mating दिखाना है? या शायद और भी कितनी ही तरह के पशु-पक्षीयों, कीट-पतंगों के अचंभित से करने वाले कारनामे?

ज्यादा हो रहा है? मगर यही सब और बहुत कुछ इससे आगे भी कबसे चल रहा है? 

जानने की कोशिश करें एक-एक करके? ये हिंट उन लोगों के लिए भी, जो subject matter expert हैं। शायद उस ज्ञान को कहीं आगे सोशल लेवल पर भी कम्यूनिकेट किया जा सकता है? अपने आसपास देखो तो, लोगों को क्या, क्यों और कैसे हो रहा है? शायद आपके रिसर्च पेपर्स के या जानकारी के बहुत से परिणाम ही प्रश्नों के दायरे में आ जाएँगे? नहीं तो कम से कम, बहुत से प्र्शन चिंह जरुर दे जाएँगे? या आप भी कोड में पेल रहे हो?

Bio Chem Physio Psycho Electric Warfare: Pros and Cons  

Friday, February 7, 2025

ABCDs of Views and Counterviews? 26

 Makes sense?


Moral Character?

किसी बैंक लोन का नौकरी के जाने से क्या लेना देना?
वैसे बैंक लोन मिलता कैसे है?

With 1 Click Bait, if personal?  
और कुछ भी नहीं चाहिए? 
वो भी, बार बार फ़ोन करके और मैसेज पे मैसेज भेझकर? 

और house loan? 
अरे? 
वो तो खास लोगों के सिर्फ खास लोगों या बच्चों को मिलता है?   
बाकी तो मोटी-मोटी फाइल लिए घुमते हैं, सब credits सही होते हुए?
उनसे पता ही नहीं, क्या-क्या और क्यों माँगा जाता है? 
 

और ये?  
Moral Correctness?
Campus Crime Series?

Violence तक जो कुछ हुआ, ना किसी को पता चला और ना ही किसी ने देखा या समझा? मगर, Violence के बाद जो हुआ वो दुनियाँ ने ना सिर्फ देखा, बल्की भुगता भी? ऐसा ही?

Campus Crime Series के बाद जो हुआ, वो तो अल्टीमेट रहा है अब तक? Panic Mode? 

ये सब पता नहीं कब से हो रहा था? मगर दुनियाँ को समझते-समझते समझ आ रहा है? सीधी-शरीफ लड़कियों को कहाँ से कहाँ धकेल सकते हैं? क्यूँकि आप बड़े लोग हैं? पैसे वाले हैं? पावर वाले हैं? स्वस्थ लोगों को कैसे बिमार करते हैं? या मार देते हैं, बेरहम राक्षसों की तरह? देखते-देखते आँखों के सामने उठा देते हैं? वो भी बता कर और दिखा कर और समझा कर? और लगता यूँ है, की सामने वाले खुद ही कर रहे हैं? सिर्फ गोटियाँ या कोढ़ मानकर? फिर Professional Rights तो बला ही क्या है? जिस जहाँ में, गरीब लोगों की ज़िंदगियाँ ही कीड़े-मकोड़े सी हैं?    

Wednesday, February 5, 2025

ABCDs of Views and Counterviews? 25

Alabama? 

How this place got my attention? मीडिया तो इसका भी स्टेडियम पर है। सिर्फ स्टेडियम रोड़ पर नहीं।  

ऐसे ही किसी सोशल पेज पे पढ़ा Legends? और फिर कहीं यूट्यूब पे कोई विडियो, किसी यूनिवर्सिटी का? ऐसे ही जैसे, कहीं किसी सोशल पेज पर पढ़ो Hero और फिर से, कहीं किसी यूनिवर्सिटी का कोई पेज या विडियो? क्या खास है इनमें? या इन जैसे और कितने ही सिर्फ coincidences में?

आपको पता हो तो बताना? 

वैसे मीडिया के इंस्टिट्यूट का स्टेडियम के रोड पर या स्टेडियम का ही हिस्सा होने का मतलब, ये नहीं की उसमें सिर्फ खेलों की कमेंट्री होती है। और भी बहुत कुछ हो सकता है। चलो खेलों के मैदान से परे, थोड़ा पढ़ने-लिखने वालों की दुनियाँ को जानने की कोशिश करते हैं? शायद कुछ पता चल सके? जैसे मीडिया टेक्नोलॉजी? कौन-कौन से विषयों की खिचड़ी पकी हुई है? और नया या पुराना क्या है, उस टेक्नोलॉजी में?    

वहीँ से शुरु करें? Your side seat person? Wherever you are?  

आप जा रहे हैं कहीं (2008) और आपकी साइड सीट पर कोई Biochem. Prof. बैठे हैं, जो भारत से ही हैं। वो पूछते हैं, आप कहाँ जा रहे हैं और क्या करते हैं। इतना ही आपने पूछा। परिचय मात्र। आपकी साइड सीट पर सालों या दशकों पहले कौन बैठा था? आपकी उससे क्या बात हुई? वो इंसान क्या करता हैं या करती है? कहाँ से था या थी? और कहाँ जा रहा था या थी? आपकी कोई बात हुई, की नहीं? नहीं? तो आपने क्या नोटिस किया?  

या शायद कोई जापान से? कहाँ से कहाँ जा रहे थे? 

या शायद भारत में ही कहीं जा रहे थे और shuttle bus, जो एयरपोर्ट के एक पॉइंट से दूसरे पॉइंट पर छोड़ती है।  उसमें क्या अजीबोगरीब तमाशा चल रहा था? या टैक्सी में वहाँ से वहाँ गए, ड्राइवर का नाम क्या था? क्या कुछ खास लगा उस टैक्सी में? और फोन पे क्या चल रहा था?

या शायद अपनी ही गाडी में? ये GPS आपको दिल्ली में ही कहाँ-कहाँ घुमा गया? कैसे-कैसे रस्तों पर? और कैसे-कैसे ड्रामे, आपकी गाडी के आसपास चल रहे थे? कहीं एम्बुलेंस ड्रामा और कहीं लाहौर? दिल्ली में लाहौर? Too much?      

मतलब? कितना और क्या-क्या याद रखेंगे आप? रोजमर्रा की खामखाँ की आलतू-फालतू डिटेल?

अरे नहीं, ये सब डिटेल अहम हैं। आप याद नहीं रखेंगे, वो भी इतने सालों बाद। आप कोई कंप्यूटर थोड़े ही हैं की एक बार डाटा फीड हुआ और परमानेन्ट हो गया? क्यूँकि, आपके हिसाब से वो सब कोई खास अहमियत नहीं रखता। तो किसके लिए रखता है? और क्यों? 

आप किस प्लेन, बस, टैक्सी या ऑटो या अपनी ही गाडी में हैं? किस जगह हैं? या कहाँ से कहाँ जा रहे हैं? किसके साथ जा रहे हैं? क्यों जा रहे हैं? या साथ में अनजाने लोग कौन हैं? उनका आपसे कोई लेना-देना हो सकता है? क्या? शायद ना उन्हें मालूम और ना आपको। आप भूल गए। ऐसे ही जैसे, कितना कुछ हम भूल जाते हैं, जो अहमियत नहीं रखता। हमारा दिमाग सिर्फ वो याद रखता है, जो अहमियत रखता है। वो फ़ालतू कबाड़ नहीं रखता अपने पास। हाँ, जरुरत पड़ने पर धुंधली-सी यादों को भी फिर से याद कर सकता है। और जिनके पास आपका 24 घंटे का डाटा फीड हो, वो भी परमानैंट? आपकी पैदाइश से आज तक का? वो जो चाहेंगे, आपको याद दिलाएँगे और जो चाहेंगे, उसे ख़त्म करने की कोशिश करेंगे। या पीछे धुँधलके में चलता कर देंगे। ये किसी एक इंसान के साथ नहीं हो रहा। सबके साथ हो रहा है। बस किसी के साथ शायद थोड़ा ज्यादा हो गया और उसपे हाईलाइट भी। आप खतरनाक दुनियाँ में है। डाटा कलेक्शन 24 घंटे, आपकी जानकारी के बिना। फिर आपकी सहमति तो मायने ही कहाँ रखती है?   

वो सब जानकारी आपके बारे में, जो आपको नहीं पता, आपके अपनों को नहीं पता, इन 24 घंटे डाटा इक्क्ठ्ठा करने वालों को पता है। यही जानकारी आपके अपने खिलाफ भी प्रयोग हो रही है। और यही आपको इन डाटा इक्क्ठ्ठा करने वालों का रोबॉट बना रही है। यही जानकारी आपको बहुत आगे ले जा सकती है। और यही जानकारी गलत लोगों के पास, आपको बहुत पीछे धकेल सकती है। या ठिकाने भी लगा सकती है, दुनियाँ से ही। यही जानकारी, मरते हुए को ज़िंदा कर सकती है। और जिंदगी को ज़िंदादिली से जीने वाले इंसान को भी, ना सिर्फ बिमार कर सकती है, बल्की, इन लोगों के हिसाब-किताब के वक़्त और जगह पर ले जाके ख़त्म भी कर सकती है। 

अगर आप समाज का वो हिस्सा हैं, जो पिछड़ा हुआ है, तो उसमें इस डाटा का और वहाँ की राजनीतिक पार्टी की पॉलिसी का उसमें बहुत बड़ा योगदान है। अगर आप आगे बढ़ते हुए तबके से हैं या आगे बढ़ते हुए तबके से थे और धीरे-धीरे लग रहा है की वक़्त जैसे कहीं गलत जगह या गलत वक़्त पर रुक-सा गया है या बहुत धीरे हो गया है? या कहीं पीछे तो नहीं जा रहा? Time Machine जैसे कोई? जहाँ चाहे, वहाँ पहुँचा दे? कहीं आप आपके आसपास की राजनीती का टारगेट तो नहीं हैं? वो भी आपकी जानकारी के बिना? अरे, ऐसा क्या खास है आपमें? महारे बावली बूचाँ के अड्डे, अर घणे श्याणे?,  कहीं न कहीं उसी राजनितिक टारगेट हिस्से को देख, सुन और समझकर ही लिखा जा रहा है।    

इसलिए, बहुत जरुरी है ये जानना की ये 24 घंटे डाटा इक्क्ठ्ठा करने वाली कम्पनियाँ कौन-कौन सी हैं? 

वो इतनी दुनियाँ का डाटा क्यों इक्क्ठ्ठा कर रही हैं?

कैसे कर रही हैं? और उसे कहाँ और कैसे स्टोर करके रखती हैं?

अरबों-खरबों रुपए, दुनियाँ का डाटा इक्क्ठ्ठा करने में क्यों खर्च कर रही हैं ये कम्पनियाँ?  

एक तरफ वो दुनियाँ है, जिसके पास आज तक ज़िंदगी जीने लायक बेसिक सुविधाएँ तक नहीं हैं। जैसे-तैसे कीड़ों जैसी-सी ज़िंदगियाँ जी रहे हैं। और एक तरफ ये संसार, जो अरबों-खरबों रुपए, ना सिर्फ इंसान को रोबॉट बनाने में, बल्की, प्रकृति को भी अपने कंट्रोल में करने की कोशिश में है? ऐसे, जैसे कोई रिमोट किसी AC, TV,  Freeze, या आपके घर की लाइट को या किन्हीं भी लाइट वाले एप्लायंस को करते हैं? 

और ये सब सिर्फ लाइट तक सिमित नहीं है। और भी बहुत तरह की तरंगे हैं। जिनके बहुत से प्रयोग और दुरुप्योग हैं। जिनकी जानकारी, बहुत ही कम लोगों को है, पढ़े-लिखों को भी। अगर वो उस विषय को नहीं जानते या कहीं भी कभी कुछ ख़ास पढ़ा ही नहीं हुआ, तो थोड़ा बहुत तो उनके बारे में भी जानना जरुरी है।    

Monday, February 3, 2025

ABCDs of Views and Counterviews? 24

 Your side seat person? Wherever you are. 

That plane?

That bus?

That taxi?

That auto?

That lab?

That hostel?

That office? 

That home?   

That home?

That home?

Landlords?

Or neighbours?

However short or long stay or journey?

Did you talk anything?

Yes?

What?

Just hi, hello or bye?

Or silently observed?

Staring eyes?

Moving cameras?

Trying to focus on you?

on different excuses?

Like you noticed nothing?

Or irritated, scolded? 

Move it away from me? 

With time, came to know from media 

What does side seat, 

seat ahead or back seat person means?

What our surrounding represents?

At some specific place or time?

And it applies to each and every person 

Just like media culture  

And ingredients. 

Sunday, February 2, 2025

ABCDs of Views and Counterviews? 23

मीडिया और खेल का मैदान? या स्टेडियम और मीडिया, कम्युनिकेशन या पत्रकारिता? इनका एक दूसरे से क्या लेना देना? ऐसे ही जैसे, Go Gators और खेल का मैदान? अरे ! ऐसे तो कभी सुना, देखा या समझा ही नहीं। क्या है ये? और आप UFCJC का पता देखते हैं। स्टेडियम रोड़? 

जैसे लगान? रंग दे बसंती? चक दे इंडिया? 

स्पोर्ट्स और खेल का मैदान? 

और रेडियो, टीवी और फिर इंटरनेट? 


ऐसे ही जैसे?

Alabama Legends?

Crimson Tides?

Tennessee Titans?

Designs that move people?

Miami Dolphins?

Philadelphia Eagle?

Minnesota Vikings?

LA Chargers?

Nebraska Huskers?

Michigan State Spartans?

Oregon Ducks? 

सारा गड़बड़ घौटाला यही है?

पढने वालों को मैदान की तरफ घसीटना?

मैदान वालों को किताबों की तरफ?

हर जगह इम्प्लांट्स और सर्विलांस एब्यूज?

हर जगह जुआ, धोखाधड़ी और मारकाट?

जिसकी लाठी उसकी भैंस?

That is what drives humans?    

Highly interdisciplinary?

Mix, whatever can and cook?

And move away to that last breath?    

Saturday, February 1, 2025

ABCDs of Views and Counterviews? 22

 Vitiligo and Acid Attacks?

पहले भी ऐसा-सा ही कुछ हुआ था? जब ये सब शुरु हुआ तो मैं यूनिवर्सिटी थी 2017 या 2018?। Extreme Hype Version चल रहा था जैसे। मगर तब तक इतनी समझ नहीं थी। मगर शिकायतों पे शिकायतें जानी शुरु हो गई थी। आज यहाँ ये हो गया। आज ये और आज ये। जैसे-जैसे ध्यान, हर रोज के प्रकरणों पे जाता गया वैसे-वैसे शिकायतें भी। तब सोचने-समझने के लिए कोई खास वक़्त नहीं था। क्यूँकि, ऑफिस का काम भी था और वहाँ के किस्से-कहानी भी। उसपे श्याम तक थकान और थोड़ा बहुत वही फाइल वर्क या क्लास या लैब वर्क और फिर से वही भागम-भागम सी सुबह। सुबह से श्याम और श्याम से फिर वही सुबह? ऐसे ही तो जाती हैं तकरीबन सब काम-काजी ज़िंदगियाँ? शायद इसीलिए ब्रेक या छुट्टियाँ जरुरी होती हैं? किसी भी रूटीन से हटकर ज़िंदगी को देखने सोचने या समझने के लिए?

पीछे गर्मियों में AC heating और Water Cooler Fire का दौर था। तो Vitiligo और Acid attack का भी? जब से ये शुरु हुआ है, तब से अब तक, नहीं पिछले कुछ वक़्त तक समझ और एक्सपीरियंस कह रहा था की सर्दी में शायद नहीं होता या नहीं फैलता। कुछ दिन पहले अचानक से आँखों में जलन और गला खराब शुरू हो गया। हल्का-फुल्का बुखार भी, जो दो-एक दिन बाद ठीक हो गया, बुखार की दवाई लेने के बाद। आसपास भी ऐसा कुछ चल रहा है तो शायद मौसम का असर? कुछ दिन बाद मुँह में छाले जैसे और आँखों में जलन। और इधर-उधर की advertisement, कहीं emails तो कहीं youtube पे किसी खास नेता को आँखें और मुँह के आसपास विटिलिगो दिखाना, जबकि हकीकत में है नहीं शायद। फिर emails पे किसी यूनिवर्सिटी (?) की advertisement में कहीं किसी आदमी का तकरीबन पूरा चेहरा vitiligo जैसे। कैसी advertisement हैं ये? 

इसी दौरान पानी खराब आ रहा है और आम आदमी पार्टी और बीजेपी का एक दूसरे पर अटैक। वैसे, ये बिमारियों का बाज़ार ज्यादातर, कहीं न कहीं के इलेक्शंस के आसपास ही क्यों फैलता है? 

अब तक के अनुभव से जो समझ आया वो ये, की vitiligo नाम की कोई बिमारी है ही नहीं। ये सब किसी न किसी तरह के एसिड अटैक ही हैं। जो ज्यादातर गुप्त तरीके से हमारी जानकारी के बिना हो रहे हैं। वैसे ही जैसे, यूनिवर्सिटी में उस 29 के साथ वाली दिवार के साथ वाले bougainvillea के कुछ पत्तों को हो गया था? Vitiligo in plants? कुछ भी जैसे? 

त्वचा को किसी भी तरीके से धीरे-धीरे ख़त्म करते जाओ या जलाते जाओ और उसका नाम हो जाएगा vitiligo? मगर इतना नहीं जलाना की वो सच में जला हुआ दिखे। Diluted acid attacks जैसे या heat attacks? जैसे कितने ही छोटे-मोटे निशान, हाथों पर खासकर, जो लोग खाना बनाते हैं, उन्हें हो जाते हैं। थोड़े कम हों तो ठीक भी हो जाते हैं, एक दो साल बाद। और थोड़े ज्यादा हों, तो निशान रह जाते हैं ? ऐसे ही शायद बालों के pigment के धीरे-धीरे खत्म होना होता होगा? यहाँ तो ये सब दिखा और बता के हो रहा है या आगाह किया जा रहा है? या शायद जबरदस्ती stress देने की कोशिश? आखिर Stress किसी भी न हुई बीमारी को पैदा करने और पैदा करने के बाद बढ़ाने-चढाने का नाम है, न की कम करने का।   

Vitiligo, Acid Attacks, Heat Attacks, Inflammation and?                    

ABCDs of Views and Counterviews? 21

हमारे आसपास जहाँ बसता है। सारी दुनियाँ। जिसे कोई दिल्ली बताएगा, कोई जयपुर, कोई मुंबई, कोई USA, कोई अफगानिस्तान, कोई UK तो कोई ऑस्ट्रेलिआ, कोई इजराइल तो कोई बांग्लादेश या कुछ और भी बता सकते हैं -- Metaphorically, आप कहीं के भी बताए जा सकते हैं। और किसी को कुछ भी या कहीं से भी बता सकते हैं। मगर इन metaphores के जरिए ही, अगर कोई धमकियाँ आने लगे तो? वो कोई जानकारी भी हो सकती है और अफवाह भी। 

जैसे जब कोरोना फैला तो बहुत कुछ गड़बड़ घौटाला ना सिर्फ अलग-अलग मीडिया के लोगों के सोशल प्रोफाइल पर चल रहा था, बल्की कहीं कुछ प्रोफेसर के सोशल प्रोफाइल पर भी पढ़ने को मिला। और जो समझ आया, वो ये, की ना हॉस्पिटल खुद जाना और ना किसी को जाने देना। वक़्त के साथ कुछ और भी समझ आया, की ये तो लोगों का बुरा भी खुद उनसे कहलवा या करवा रहे हैं। कैसे (जानते हैं आगे पोस्ट में)? जैसे प्रशाद हो, लो आप भी लेते जाओ। कुछ एक मुझे भी कोरोना हो गया ऐसे गा रहे थे, जैसे फीवर नहीं कोई प्रसाद मिल रहा हो उन्हें। और इंजैक्शन लगवा कर आना तो? ओह। बड़ी बहादूरी का काम हो? खैर, वो वक़्त आया-गया हुआ। कौन-कौन गया और कौन-कौन बचा, जैसे कहानियाँ ही रह गई? जैसे आज के ही दिन दो साल पहले भाभी गए थे। और दो साल भी हो गए? यूनिवर्सिटी का क्या चल रहा है? क्या चलना था? इलेक्शन चल रहे हैं? और सेविंग? संगीता जी कुंडली मार के बैठी हैं। पुरे घर को नहीं खाएँगी? संगीता मैम? या कोई भारद्वाज? या? VC और रजिस्ट्रार? या कौन?

खाने-पीने में मिलावट के डर से हालात ये हो गए थे की एक water purifier भाई को दे गई थी। जरुरत ही नहीं थी उन्हें तो। उनके यहाँ तो हैंड पंप का पानी आता है। और आज तक वहीँ से आता है। और मेरे हालात ये थे की सिर्फ खाने-पीने के लिए ही नहीं, बल्की नहाने और कपड़े धोने के लिए भी purified water प्रयोग होता था। और यहाँ? यहाँ तो पीने को ही साफ़ पानी नहीं। तो क्या होगा? झुझते रहो छोटे-मोटे इंफेक्शन से।  

अरे पानी और इंफेक्शन से याद आया। ये आजकल दिल्ली में क्या चल रहा है? बिमारियाँ ऐसे भी होती हैं, इसकी जानकारी आम आदमी पार्टी के कुछ नेताओं के सोशल प्रोफाइल से ही समझ आया। क्या ये राजनीतिक पार्टियाँ बिमारियों को ऐसे अपनी जनता को सचेत करने के लिए बोलती हैं? या ये Amplify करने का भी या करने का ही तरीका है?     

बिमारियाँ फ़ैलाने वाली इस भद्दी राजनीती का असर कहीं आपके आसपास भी तो नहीं है? कहीं metaphorically, आप वही दिल्ली तो नहीं बने हुए आजकल?  

बचो। अपने घर एक water purifier लगवा लो अगर नहीं है तो। और जिनके यहाँ लगे हुए हैं, वो उनको प्रयोग कर लें। उनसे बिमारियाँ नहीं होती, अगर फ़िल्टर गलत ना लगाए हुए हों तो। नए फ़िल्टर लगवाते वक़्त या सर्विस करवाते वक़्त उसका बिल जरुर संभाल कर रख लें। शायद थोड़ा बहुत बचाव हो, गलत फ़िलटर लगाने वालों से। जिन्होंने आपके भेझे में ये भर दिया है की water purifier ही बिमारियों का घर हैं, तो गलत भर दिया है। वो बिमारियों का नहीं, बल्की बाज़ारवाद और भद्दी राजनीती की वजह से हैं। ऐसे ही जैसे air purifiers ।  पीछे लिखा ना, सबकुछ bull market के अधीन है। मंदिर-मस्जिद, खाना-पानी, स्वास्थ्य और शिक्षा तक।   

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 एक फोटो किसी इंग्लिश शब्द-अर्थ साइट से  है? 

शायद  तो कुछ बदल दिया गया है?
साइट नाम? या यही था?

और ये MLA हैं कोई Praniti Shinde 
जिनकी शादी की अफवाहें चल रही थी पिछले साल, राहुल गाँधी से? 

कब? अहम है क्या?
शायद?   

और ये 2025 के Eurovision Song contest से है। 


ये किसी जुड़वाँ की फोटो तो नहीं हैं। हैं भी बहुत ही दूर-दूर की जगहों से। आसपास की जगह से भी नहीं। क्या हो, अगर इन्हें आपस में किसी भी एंगल से जोड़कर कोई कहानी सुनाने लगें तो? 

चलो कहानी नहीं सुनाते। कहीं कोई हादसा हुआ और ऊप्पर वाली 2 फोटो आपके न्यूज़ में ऐसे ही random आने लग जाएँ? किसी Rumour वाला मान लो कोई coincidence? मगर ये English words meaning वाली? शायद खामखाँ बहम? ऐसे भी कोई किसी को जोड़कर देखता है? 

उसपे वो gmail वाली spams?

ये Eurovision वाली मैंने ऐसे ही रख दी। ऐसे तो, मुझे तो ये भी मिलती-जुलती लग रही है। कुछ भी? ऐसे ही जैसे JD यहाँ, JD वहाँ? और JD वहाँ? चलो कुछ और जानने की कोशिश करते हैं आगे पोस्ट में?