Alabama?
How this place got my attention? मीडिया तो इसका भी स्टेडियम पर है। सिर्फ स्टेडियम रोड़ पर नहीं।
ऐसे ही किसी सोशल पेज पे पढ़ा Legends? और फिर कहीं यूट्यूब पे कोई विडियो, किसी यूनिवर्सिटी का? ऐसे ही जैसे, कहीं किसी सोशल पेज पर पढ़ो Hero और फिर से, कहीं किसी यूनिवर्सिटी का कोई पेज या विडियो? क्या खास है इनमें? या इन जैसे और कितने ही सिर्फ coincidences में?
आपको पता हो तो बताना?
वैसे मीडिया के इंस्टिट्यूट का स्टेडियम के रोड पर या स्टेडियम का ही हिस्सा होने का मतलब, ये नहीं की उसमें सिर्फ खेलों की कमेंट्री होती है। और भी बहुत कुछ हो सकता है। चलो खेलों के मैदान से परे, थोड़ा पढ़ने-लिखने वालों की दुनियाँ को जानने की कोशिश करते हैं? शायद कुछ पता चल सके? जैसे मीडिया टेक्नोलॉजी? कौन-कौन से विषयों की खिचड़ी पकी हुई है? और नया या पुराना क्या है, उस टेक्नोलॉजी में?
वहीँ से शुरु करें? Your side seat person? Wherever you are?
आप जा रहे हैं कहीं (2008) और आपकी साइड सीट पर कोई Biochem. Prof. बैठे हैं, जो भारत से ही हैं। वो पूछते हैं, आप कहाँ जा रहे हैं और क्या करते हैं। इतना ही आपने पूछा। परिचय मात्र। आपकी साइड सीट पर सालों या दशकों पहले कौन बैठा था? आपकी उससे क्या बात हुई? वो इंसान क्या करता हैं या करती है? कहाँ से था या थी? और कहाँ जा रहा था या थी? आपकी कोई बात हुई, की नहीं? नहीं? तो आपने क्या नोटिस किया?
या शायद कोई जापान से? कहाँ से कहाँ जा रहे थे?
या शायद भारत में ही कहीं जा रहे थे और shuttle bus, जो एयरपोर्ट के एक पॉइंट से दूसरे पॉइंट पर छोड़ती है। उसमें क्या अजीबोगरीब तमाशा चल रहा था? या टैक्सी में वहाँ से वहाँ गए, ड्राइवर का नाम क्या था? क्या कुछ खास लगा उस टैक्सी में? और फोन पे क्या चल रहा था?
या शायद अपनी ही गाडी में? ये GPS आपको दिल्ली में ही कहाँ-कहाँ घुमा गया? कैसे-कैसे रस्तों पर? और कैसे-कैसे ड्रामे, आपकी गाडी के आसपास चल रहे थे? कहीं एम्बुलेंस ड्रामा और कहीं लाहौर? दिल्ली में लाहौर? Too much?
मतलब? कितना और क्या-क्या याद रखेंगे आप? रोजमर्रा की खामखाँ की आलतू-फालतू डिटेल?
अरे नहीं, ये सब डिटेल अहम हैं। आप याद नहीं रखेंगे, वो भी इतने सालों बाद। आप कोई कंप्यूटर थोड़े ही हैं की एक बार डाटा फीड हुआ और परमानेन्ट हो गया? क्यूँकि, आपके हिसाब से वो सब कोई खास अहमियत नहीं रखता। तो किसके लिए रखता है? और क्यों?
आप किस प्लेन, बस, टैक्सी या ऑटो या अपनी ही गाडी में हैं? किस जगह हैं? या कहाँ से कहाँ जा रहे हैं? किसके साथ जा रहे हैं? क्यों जा रहे हैं? या साथ में अनजाने लोग कौन हैं? उनका आपसे कोई लेना-देना हो सकता है? क्या? शायद ना उन्हें मालूम और ना आपको। आप भूल गए। ऐसे ही जैसे, कितना कुछ हम भूल जाते हैं, जो अहमियत नहीं रखता। हमारा दिमाग सिर्फ वो याद रखता है, जो अहमियत रखता है। वो फ़ालतू कबाड़ नहीं रखता अपने पास। हाँ, जरुरत पड़ने पर धुंधली-सी यादों को भी फिर से याद कर सकता है। और जिनके पास आपका 24 घंटे का डाटा फीड हो, वो भी परमानैंट? आपकी पैदाइश से आज तक का? वो जो चाहेंगे, आपको याद दिलाएँगे और जो चाहेंगे, उसे ख़त्म करने की कोशिश करेंगे। या पीछे धुँधलके में चलता कर देंगे। ये किसी एक इंसान के साथ नहीं हो रहा। सबके साथ हो रहा है। बस किसी के साथ शायद थोड़ा ज्यादा हो गया और उसपे हाईलाइट भी। आप खतरनाक दुनियाँ में है। डाटा कलेक्शन 24 घंटे, आपकी जानकारी के बिना। फिर आपकी सहमति तो मायने ही कहाँ रखती है?
वो सब जानकारी आपके बारे में, जो आपको नहीं पता, आपके अपनों को नहीं पता, इन 24 घंटे डाटा इक्क्ठ्ठा करने वालों को पता है। यही जानकारी आपके अपने खिलाफ भी प्रयोग हो रही है। और यही आपको इन डाटा इक्क्ठ्ठा करने वालों का रोबॉट बना रही है। यही जानकारी आपको बहुत आगे ले जा सकती है। और यही जानकारी गलत लोगों के पास, आपको बहुत पीछे धकेल सकती है। या ठिकाने भी लगा सकती है, दुनियाँ से ही। यही जानकारी, मरते हुए को ज़िंदा कर सकती है। और जिंदगी को ज़िंदादिली से जीने वाले इंसान को भी, ना सिर्फ बिमार कर सकती है, बल्की, इन लोगों के हिसाब-किताब के वक़्त और जगह पर ले जाके ख़त्म भी कर सकती है।
अगर आप समाज का वो हिस्सा हैं, जो पिछड़ा हुआ है, तो उसमें इस डाटा का और वहाँ की राजनीतिक पार्टी की पॉलिसी का उसमें बहुत बड़ा योगदान है। अगर आप आगे बढ़ते हुए तबके से हैं या आगे बढ़ते हुए तबके से थे और धीरे-धीरे लग रहा है की वक़्त जैसे कहीं गलत जगह या गलत वक़्त पर रुक-सा गया है या बहुत धीरे हो गया है? या कहीं पीछे तो नहीं जा रहा? Time Machine जैसे कोई? जहाँ चाहे, वहाँ पहुँचा दे? कहीं आप आपके आसपास की राजनीती का टारगेट तो नहीं हैं? वो भी आपकी जानकारी के बिना? अरे, ऐसा क्या खास है आपमें? महारे बावली बूचाँ के अड्डे, अर घणे श्याणे?, कहीं न कहीं उसी राजनितिक टारगेट हिस्से को देख, सुन और समझकर ही लिखा जा रहा है।
इसलिए, बहुत जरुरी है ये जानना की ये 24 घंटे डाटा इक्क्ठ्ठा करने वाली कम्पनियाँ कौन-कौन सी हैं?
वो इतनी दुनियाँ का डाटा क्यों इक्क्ठ्ठा कर रही हैं?
कैसे कर रही हैं? और उसे कहाँ और कैसे स्टोर करके रखती हैं?
अरबों-खरबों रुपए, दुनियाँ का डाटा इक्क्ठ्ठा करने में क्यों खर्च कर रही हैं ये कम्पनियाँ?
एक तरफ वो दुनियाँ है, जिसके पास आज तक ज़िंदगी जीने लायक बेसिक सुविधाएँ तक नहीं हैं। जैसे-तैसे कीड़ों जैसी-सी ज़िंदगियाँ जी रहे हैं। और एक तरफ ये संसार, जो अरबों-खरबों रुपए, ना सिर्फ इंसान को रोबॉट बनाने में, बल्की, प्रकृति को भी अपने कंट्रोल में करने की कोशिश में है? ऐसे, जैसे कोई रिमोट किसी AC, TV, Freeze, या आपके घर की लाइट को या किन्हीं भी लाइट वाले एप्लायंस को करते हैं?
और ये सब सिर्फ लाइट तक सिमित नहीं है। और भी बहुत तरह की तरंगे हैं। जिनके बहुत से प्रयोग और दुरुप्योग हैं। जिनकी जानकारी, बहुत ही कम लोगों को है, पढ़े-लिखों को भी। अगर वो उस विषय को नहीं जानते या कहीं भी कभी कुछ ख़ास पढ़ा ही नहीं हुआ, तो थोड़ा बहुत तो उनके बारे में भी जानना जरुरी है।
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