Views and Counterviews 95

 जाने क्यों ये विडियो बार-बार मेरे यूट्यूब पर आ रहे हैं? कह रहे हों जैसे, सुनो हमें? जाने क्यों लगा, की ये तो रौचक हैं      प्रशांत किशोर  V...

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Wednesday, February 26, 2025

ABCDs of Views and Counterviews? 43

कहानी और प्लॉट? 


At Par V IT amin या M U L TI VI T?

Vit या Vit A? या Multi V IT?  

छोटी-मोटी रोजमर्रा की दवाईयों या multivit जैसे, गोलियों या कैप्सूलों की कहानी और उनसे जुड़े अजीबोगरीब कारनामे किसी और पोस्ट में। अभी कहानी और प्लॉट के फर्क या हेदभेद को समझने की कोशिश करते हैं। 


आजु-बाजू? जैसे ईधर, उधर या किधर? 

इसे अपनी दोनों बाजुओं से समझें। आपके घर के दोनों तरफ मकान हैं। आजू भी और बाजू भी। या कहो की दाएँ भी और बाएँ भी। ये मकान जैसे आपकी बाजुएँ हैं। 

आमने-सामने? 

ऐसे जैसे कुरुक्षेत्र का मैदान? या आगे जो भविष्य है? 

और पीछे?

जो पीछे रह गया? या आपका भूत जैसे? 

या कुछ लेना-देना है? किस तरह का सम्बन्ध है आपका, आपके आजू-बाजू से? आमने-सामने से? या पीछे वाले मकान या मकानों से? दुकान या दुकानों से? प्लॉट या प्लॉटों से? खेत या खलिहानों से? खाली पड़े प्लॉटों से या उनमें बनते हुए मकानों, बैठकों या जानवरों के रहने के घेरों से? सरकारी या प्राइवेट से? या किसी कोऑपरेटिव से?          

ऐसे ही जैसे, सारा समाज सिर्फ कुछ कोढ़ों की गिर्फत में। 

जिनमें सरकारी क्या और प्राइवेट क्या? 

शिक्षा क्या और स्वास्थ्य क्या? 

खेती क्या और व्यापारी क्या? 

बीमार क्या और बीमारी क्या? 

इलाज क्या और दवाई क्या?

हॉस्पिटल कौन-सा या ऑपरेशन क्या? 

ज़िंदगी क्या और मौत क्या?  

रिश्ते-नाते क्या?

शादी क्या और बच्चे क्या?

अड़ोस-पड़ोस क्या और गली मोहल्ला क्या?

सब समाया है।   

अपने इस आसपास या अड़ोस-पड़ोस को आप कितना जानते हैं? अड़ोस-पड़ोस छोड़िए। अपने घर में रह रहे सदस्यों को ही आप कितना जानते हैं? किसके साथ कितना वक़्त गुजारते हैं? आपकी ज़िंदगी भी उन्हीं के अनुसार होती जाएगी। अगर आप अपने घर से ज्यादा, बाहर वक़्त गुजारते हैं तो घर बिखरता जाएगा। या सम्बन्ध उतने मधुर नहीं होंगे। रिश्तों में खटास ज्यादा होगी। जिसका फायदा बाहर वालों को होगा। आपका घर बाहर वालों में बँटता जाएगा। और घर वाले अलग-थलग या ज्यादा खतरनाक केसों में ख़त्म होते जाएँगे।  

सचेत होने की जरुरत होती है, जब बाहर वाले अपनों के ही खिलाफ कुछ कहने लगें या भड़काने लगें। बाहर वालों की बजाय, हकीकत अपने घर वाले इंसान से ही जानने की कोशिश करो। कहीं हकीकत कुछ और ही ना मिले। और बाहर वाले तुम्हारा नुकसान कर अपना ही कोई स्वार्थ साधने में लगे हुए हों। आपको किसी अपने के ही खिलाफ भड़काकर और उस अपने को शायद आपके खिलाफ?   

यही आसपास या अड़ोस-पड़ोस या गली-मौहल्ले पर भी लागू होता है। 

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