हमारे आसपास जहाँ बसता है। सारी दुनियाँ। जिसे कोई दिल्ली बताएगा, कोई जयपुर, कोई मुंबई, कोई USA, कोई अफगानिस्तान, कोई UK तो कोई ऑस्ट्रेलिआ, कोई इजराइल तो कोई बांग्लादेश या कुछ और भी बता सकते हैं -- Metaphorically, आप कहीं के भी बताए जा सकते हैं। और किसी को कुछ भी या कहीं से भी बता सकते हैं। मगर इन metaphores के जरिए ही, अगर कोई धमकियाँ आने लगे तो? वो कोई जानकारी भी हो सकती है और अफवाह भी।
जैसे जब कोरोना फैला तो बहुत कुछ गड़बड़ घौटाला ना सिर्फ अलग-अलग मीडिया के लोगों के सोशल प्रोफाइल पर चल रहा था, बल्की कहीं कुछ प्रोफेसर के सोशल प्रोफाइल पर भी पढ़ने को मिला। और जो समझ आया, वो ये, की ना हॉस्पिटल खुद जाना और ना किसी को जाने देना। वक़्त के साथ कुछ और भी समझ आया, की ये तो लोगों का बुरा भी खुद उनसे कहलवा या करवा रहे हैं। कैसे (जानते हैं आगे पोस्ट में)? जैसे प्रशाद हो, लो आप भी लेते जाओ। कुछ एक मुझे भी कोरोना हो गया ऐसे गा रहे थे, जैसे फीवर नहीं कोई प्रसाद मिल रहा हो उन्हें। और इंजैक्शन लगवा कर आना तो? ओह। बड़ी बहादूरी का काम हो? खैर, वो वक़्त आया-गया हुआ। कौन-कौन गया और कौन-कौन बचा, जैसे कहानियाँ ही रह गई? जैसे आज के ही दिन दो साल पहले भाभी गए थे। और दो साल भी हो गए? यूनिवर्सिटी का क्या चल रहा है? क्या चलना था? इलेक्शन चल रहे हैं? और सेविंग? संगीता जी कुंडली मार के बैठी हैं। पुरे घर को नहीं खाएँगी? संगीता मैम? या कोई भारद्वाज? या? VC और रजिस्ट्रार? या कौन?
खाने-पीने में मिलावट के डर से हालात ये हो गए थे की एक water purifier भाई को दे गई थी। जरुरत ही नहीं थी उन्हें तो। उनके यहाँ तो हैंड पंप का पानी आता है। और आज तक वहीँ से आता है। और मेरे हालात ये थे की सिर्फ खाने-पीने के लिए ही नहीं, बल्की नहाने और कपड़े धोने के लिए भी purified water प्रयोग होता था। और यहाँ? यहाँ तो पीने को ही साफ़ पानी नहीं। तो क्या होगा? झुझते रहो छोटे-मोटे इंफेक्शन से।
अरे पानी और इंफेक्शन से याद आया। ये आजकल दिल्ली में क्या चल रहा है? बिमारियाँ ऐसे भी होती हैं, इसकी जानकारी आम आदमी पार्टी के कुछ नेताओं के सोशल प्रोफाइल से ही समझ आया। क्या ये राजनीतिक पार्टियाँ बिमारियों को ऐसे अपनी जनता को सचेत करने के लिए बोलती हैं? या ये Amplify करने का भी या करने का ही तरीका है?
बिमारियाँ फ़ैलाने वाली इस भद्दी राजनीती का असर कहीं आपके आसपास भी तो नहीं है? कहीं metaphorically, आप वही दिल्ली तो नहीं बने हुए आजकल?
बचो। अपने घर एक water purifier लगवा लो अगर नहीं है तो। और जिनके यहाँ लगे हुए हैं, वो उनको प्रयोग कर लें। उनसे बिमारियाँ नहीं होती, अगर फ़िल्टर गलत ना लगाए हुए हों तो। नए फ़िल्टर लगवाते वक़्त या सर्विस करवाते वक़्त उसका बिल जरुर संभाल कर रख लें। शायद थोड़ा बहुत बचाव हो, गलत फ़िलटर लगाने वालों से। जिन्होंने आपके भेझे में ये भर दिया है की water purifier ही बिमारियों का घर हैं, तो गलत भर दिया है। वो बिमारियों का नहीं, बल्की बाज़ारवाद और भद्दी राजनीती की वजह से हैं। ऐसे ही जैसे air purifiers । पीछे लिखा ना, सबकुछ bull market के अधीन है। मंदिर-मस्जिद, खाना-पानी, स्वास्थ्य और शिक्षा तक।
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