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Thursday, January 30, 2025

Views and Counterviews? 19

इस इमेज को ध्यान से देखो 

(इमेज इंटरनेट से ली गई है)

इस इमेज में जो फोटो हैं, क्या वो एक ही लड़की की हैं?

या अलग-अलग हैं?

इंटरनेट या टेक्नोलॉजी इसके बारे में क्या कुछ बता सकता है?

गए हुए कल के बारे में?

आज के बारे में?

या आने वाले कल के बारे में?

क्या इंटरनेट या टेक्नोलॉजी इसका आज या कल घड़ भी सकता है?

सोचो?   

जानने की कोशिश करते हैं आगे, इस कल, आज और आने वाले कल को बताने या घड़ने वाले टेक्नोलॉजी के जहाँ को। 

Predictive tech world and applications: cons and pros? 

and

Synthetic tech world and applications: cons and pros? 

Wednesday, January 29, 2025

Views and Counterviews? 17

 Predict? Forcast?

Mirror Image?

वैसे ऐसे ही किसी और कंपनी के लोगो को भी घुमा कर देख सकते हैं। 


भविष्य जाने?

अनुमान लगाना? अंदाजा लगाना ? भविष्य बताना? ज्योतिष विद्या?  

और कितने नामों से जानते हो? अंग्रेजी में उसे Prediction कहते हैं। जैसे मौसम का अंदाजा लगाना? या फिर कौन आएगा आपके पास? या आप जाएँगे किसके पास? या आपने कोई पेपर दिया है? उसमें पास होंगे या फेल? या आपकी कितनी उम्र होगी? या आपकी शादी या बच्चे कब होंगे? कितने होंगे? या आपकी कौन-सी नौकरी लगेगी? या आपके व्यवसाय में कितना फायदा होगा? या आपकी फसल कैसी होगी? या आपके बच्चों का भविष्य शायद?  

भला इसमें भी क्या नया है?
ये तो हमारे पुरखे कब से यहाँ-वहाँ जानने के लिए पहुँचते रहते थे या शायद अभी तक भी जाते हैं? वो सुना है, हे वो पतरे काढ़ा करै, अर उसके काढ़े पतरे साच जां सैं? या फलाना-धमकाना ज्योतिष या बाम्हन कती साच बतावे सै? यही ना? जैसे मेरे बुजुर्ग भी पता नहीं पापा का पता करने कहाँ-कहाँ घुमे। किसे-किसे पतरे काढ़ण आलें नै नानी, दादी बिठाये मिलती घरां। और वो पतरे काढ़ण आले, उनकी मानसिक स्तिथि जान, मुँह माँगा छोटा-मोटा दान ले जाते। अब वो सच हो या ना हो, वो अलग बात। तो एक तो भविष्य बताने वाले होते हैं, आपकी मानसिक स्तिथि को जानकार, उसको अपने फायदे के अनुसार भुनाने वाले। जैसे झोला छाप डॉक्टरों के बारे में बोलते हैं? 

और एक होता है की आपको कोई जानकारी है या किसी तरह का ज्ञान या विज्ञान है और आप उसके हिसाब से सामने वाले को कुछ बता रहे हैं या आगाह कर रहे हैं। किसी भी खास विषय या जीव जानवरों के जानकार या डॉक्टर?
एक और होता है, आशँका (probability),  जिसे हम intuition कहते हैं। बहुत बार वो ईधर-उधर से आई कोई ठोस जानकारी भी हो सकती है। जैसे किसी so-called Dr के केस में, आपके आसपास ऐसा कुछ संदेश फैल रहा हो, PGI वालों से सावधान। ये लोगों को use और throw करते हैं। अब वो आशँका है, सच भी हो सकता है और गलत फैलाया हुआ एजेंडा भी। ऐसे-ऐसे कुछ एक उदाहरण आसपास होंगे और आप ना सिर्फ सचेत हो जाएँगे, बल्की चलते बनेंगें अपने रस्ते? मतलब आशँका ज्यादा है और ऐसा सच होता प्रतीत हो रहा है। ऐसे ही जैसे कहीं कोई उदाहरण सामने आएँ, की लोगबाग लड़कियों को ऐसे पटाते हैं, की खुद गुंडे भेझेंगे और फिर खुद ही बचाने आसपास पहुँच जाएँगे। शायद, कोई सर्विलांस कर रहे थे सबका, जिन्होंने ना सिर्फ आगाह किया, बल्की, आगे भी काफी साँग चला फिर?

तो सर्विलांस के फायदे भी हैं और नुकसान भी। निर्भर करता है की किस मानसिकता से प्रयोग किया जा रहा है? मगर, ये खिड़की-जंगलों पर मँडराता या घरों में घुसा हुआ, बैड रुम और बाथरुम तक घुसने वाला सर्विलांस समझ से परे है। 
तो जो जानकारी या ज्ञान-विज्ञान का प्रयोग कर आपके बारे में सबकुछ जानते हैं, वो काफी कुछ गलत के बारे में आगाह भी कर सकते हैं। और बहुत से कांडों को होने से पहले ही बचा भी सकते हैं। मगर जानकारी होते हुए जो वक़्त रहते नहीं बचाते और उसपे उसकी रिकॉर्डिंग तक कर, उसका दुरुपयोग करते हैं? क्या कहेंगें आप ऐसे-ऐसे लोगों के बारे में?
 
यहाँ तक तो है जो जानकारी है, उसके अनुसार फायदा या नुकसान। जैसे, अगर मौसम विभाग ने बता दिया की अगले 24 घंटे में यहाँ-यहाँ बारिश होगी, तो मान के चलो की होगी। ये तो दशकों पुराना ज्ञान-विज्ञान है, जो वक़्त के अनुसार बहुत ही सटीक हो गया है। 

आज की दुनियाँ इससे कहीं आगे निकल चुकी। आज का ज्ञान-विज्ञान ये सब सिर्फ बताता नहीं है, की कब बारिश होगी या आँधी या तूफ़ान आएगा या ओले पड़ेंगे या धूप निकलेगी या धुँध होगी या भूकंप आएगा या ऐसी ही कोई और आपदा। आज का ज्ञान-विज्ञान उसे घड़ता है। कुछ-कुछ ऐसे, जैसे, मेरी मरजी?

मैं चाहे ये करूँ, मैं चाहे वो करूँ, गाना है ना कोई? आओ उसे थोड़ा-सा बदलें? 

मैं धूप भगा, धुंध ले आऊँ
यहाँ-वहाँ ओले पड़वाऊँ 
आँधी लाऊँ या तूफ़ान लाऊँ 
भूकंप लाऊँ या बाढ़, चक्रवात 
या समुंद्री तूफ़ान ले आऊँ 
और उनपे अपनी-अपनी 
राजनीतिक पार्टियों की सुविधा अनुसार 
नाम लिखवाऊँ, 
मेरी मरजी? 

इसे AI कहते हैं क्या? आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस (Artificial Intelligence)? यहाँ उसको आर्टिफीसियल वेदर (Artificial Weather or Weather Manipulation) भी बोलते हैं।         

अब इसी तरह अगर इस गाने को हम थोड़ा इंसानो पे लागू करें तो? क्या कहेंगे उसे? आर्टिफीसियल लाइफ डिज़ाइन (Artificial Life Design)? सोशल इंजीनियरिंग (Social Engineering)? और उसके अनुसार Social Tales of Social Engineering? हम सबकी ज़िंदगियाँ ? 

तो ये दुनियाँ भर की सत्ताएँ और बड़ी-बड़ी कंपनियाँ क्यों नहीं चाहती की आपको भी इसकी जानकारी हो?   
जानने की कोशिश करते हैं की ये सत्ताएँ और बड़ी-बड़ी कंपनियाँ क्यों नहीं चाहती, की आपको भी इसकी जानकारी हो? और सबसे बड़ी बात, कौन-कौन से ज्ञान और विज्ञान का प्रयोग या दुरुपयोग कर, वो ये दुनियाँ घड़ रही हैं? बहुत कुछ आपको पता है, मगर उस सबको मिलाकर घड़ते कैसे हैं, वो नहीं मालूम? तो जानते हैं ना आगे पोस्ट में। अगर ये सच आम लोगों को बताने की सजा जेल जाना या दुनियाँ से ही उठना है, तो क्या कहेंगें ऐसी-ऐसी सत्ताओं और राजनीतिक पार्टियों को? सिर्फ सत्ता नहीं राजनीतिक पार्टियाँ कहना सही होगा शायद? क्यूँकि, इस हमाम में सब नंगा है, ऐसे भी और वैसे भी। ये सब इन सबकी मिली भगत से हो रहा है?   

Views and Counterviews? 16

कई दिन हो गए ना किसी यूनिवर्सिटी की सैर पे नहीं गए? कहाँ और किधर चलें? ऐसे ही random कहीं भी? या शायद, किसी म्यूजिक कंसर्ट में? या म्यूजिक बनाने वाली या दंगल वाली जगह? या गेम्स डेवलपमेंट ज़ोन्स या यूनिवर्सिटी या कोई खास डिपार्टमेंट या डिग्री प्रोग्राम्स? या आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस से सम्बंधित अलग-अलग विषयों या डिपार्टमेंट्स पर?      

University of U? University of U?

UT ऊत?

हाँ ? 

मतलब?

ऊतहा ? 

या यूताह? 

मरजाणे कितै के? 

अच्छा    

Utah? Music?

somewhat like why this colaveri di?

Radar? 

MUSS?

BUS 150?

20?

या? 

Grammerly water adv kinda "भैंस गई पानी में?"

Need Help?

Or just enjoy Eurovision 2025? 

या Imagine?

जैसे Start ups? 

फिर से 

ऊतहा ? 

या यूताह? 

या फिर? 

लैब या कोई छोटा-सा चैम्बर जैसे?  

जैसे? 

कार स्टुडिओ? 

Err Career Studio?

वो भी स्कूल या कॉलेज के बच्चों के लिए नहीं 

बल्की, Docs और Postdocs के लिए?  

जैसे

John Hopkins Career Studio? 

और भी बहुत-सी यूनिवर्सिटी में हैं 

What about 

Positions in Digital Twins?  

मतलब टेक्नोलॉजी के जुड़वाँ? 

Game designs? 

Video games?

विडियो गेम्स? 

स्वीडन? 

माल्मो? 

या शायद?

Skovde Games Development? 



या फिर    

Weather Design?  

and 

Stadium games?

What can be better than UF?

वैसे और भी बहुत कुछ है वहाँ पे।  


या फिर?

Molecular Lab?

and 

Bioinformatics?

Drug Design?

and 

Development?


या फिर?

Human Altered Environment?

Penn University?


या फिर? 

Politics and International Relations?

Policy Design and Development?


या फिर 

US? 

ना OS? Operating System?

LO? Los Angeles?

या L जीरो?

जैसे?  

लठम, लठैत, लठाई?

बाजण दो?  

या खिचड़ी पकानी हो तो?

औस लो?

अरे Os-lo?   

U of Oslo?   

जैसे 

UI? 

ET?

UIET?  

या oh - slow?

Circle-U.  Alliances?

और भी घणी-ए ढाल के अलायन्स बताए।      


या फिर? 

Social Engineering 

and 

Social Tales of Social Engineering?          


एक ही सही है या किसमें Major करना है? और किसमें Minor? 

Pure arts? या pure science? या pure commerce? ये Pure क्या होता है? वो भी आज के interdesciplinary world में? सब सबको नहीं आता। मगर कुछ न कुछ सबको आता है। उन सबको मिला दो, तो? Social Engineering होती है। बोले तो, खाटू  श्याम नै बुलायो भाई, Socially और महारै ढाल की कल्चर आला Pure बनावाँगे? अर न्यून आल्या नै, आपणा शिव बुलाण दो। मतलब, अकडम-बकड़म बॉम्बे बो, महारे स्पेशल शेफ और स्पेशल डिश प्रोग्राम, दुनियाँ के इस कोणे तै, उस कोणे तहि, चालू?           


Like Media? Media culture?

Modular Designs and Synthetic Products? 

जैसे Synthetic Twins या Digital Twins?

Designing across subjects and across cultures?  

Monday, January 27, 2025

Views and Counterviews? 15

Amplification? किसी चीज़ को बढ़ाना-चढ़ाना 

Manipulation? चालाकी, हेराफेरी, बहरूबियापन, तिकड़मबाज़ी     

किसी भी बात को अच्छे की तरफ बढ़ाना चढ़ाना है या बुरे की तरफ बढ़ाना चढ़ाना है? उसके लिए किस तरह की चालाकियाँ प्रयोग में लानी है? जिनमें संसाधनों का प्रयोग हो या दुरुपयोग हो?

उदाहरण लेते हैं  

पीछे पोस्ट में लिखा, "Reflection लिखना शुरु किया और JD Vance और उसकी किताब पे पहुँचा दिया"  आपके लिखे Reflection में वो सब आना है या लिखा जा रहा है, जो आपको मालूम है या जैसा आपने अनुभव किया और इसलिए वहाँ परिणाम और कुछ होने ही नहीं थे, आगे बढ़ने के सिवाय?

जिस JD Vance की ये खास दिखाने या समझाने वालों ने बात की, वो अमेरिका में कोई राजनीतिज्ञ हैं। ऐसे ही जैसे भारत के किसी राजनीतिज्ञ को parallel दिखाने या समझाने की कोशिश हो। सामांतर घड़ाई भी ऐसी-ऐसी, की वो मर गया या मर गई और उसका जन्म यहाँ या वहाँ हो गया। होता है क्या ऐसे? शायद राजनीतिक घड़ाईयोँ में? जिनके दुष्परिणाम आम जनता भुगतती है। खैर। थोड़ा और जाने इस वाले JD को?   



ये किसी की कहानी दूर, दुनियाँ के किसी और ही कोने से। 
मैं किसी JD को जानती हूँ? 
सालों पहले, किसी यूनिवर्सिटी ट्रिप पर   
JD? कौन JD? 
अरे मैडम, आप JD को नहीं जानते?  
नहीं 
दो JD हैं। एक छोटा और एक बड़ा। और फिर कॉलेज से कोई नाम सामने आता है। 
ओह! आप लोग उसे JD बोलते हैं?
गाँव आने पर 
कोई और ही JD का नाम सामने आता है, किसी और ही संदर्भ में, गाँव के दूसरे हिस्से से Madina-B. 
 
और दादा के खजाने से ये पापा के पत्र पढ़ने लगी तो?
अमेरिकन JD Vance? या शायद Jaivir Damyanti (JD) और उनका वंश? माँ के अनुसार, तीन पैदा किए और तीनों, एक से बढ़ कर एक नमूने। मगर ये सब दिखाने, समझाने वालों का सन्दर्भ शायद कोई कोड भी हो सकते हैं, आज के संदर्भ में? ना की गए हुए कल के संदर्भ में, क्यूँकि, यहाँ तो किसी JD (Jaivir Dangi) को मरे हुए ही कई दशक हो चुके? मरे हुए पे प्रश्न क्यों? सुना है, जहाँ ना ये पता हो की कोई इंसान कब, कैसे और कहाँ मरा या किसने, और क्यों मारा की हकीकत पता हो और लोगबाग सालों-साल, ईधर-उधर जिन्दा की आस में ढूँढ़ते रहें और ना ही लाश मिली हो, वहाँ सिर्फ और सिर्फ प्रश्न रह जाते हैं। हाँ, माँ और उनके पैदा किए तीन नमूने जरुर जिन्दा हैं।  
    
तो निर्भर करता है की बात किस संदर्भ में हो रही है? यही घुमाऊ-फिराऊ से संदर्भ, जब आम आदमी समझ नहीं पाता, तो क्या होता है? राजनीतिक पार्टियाँ, उसे कहाँ-कहाँ घुमा कर क्या कुछ करवाती हैं? और परिणाम क्या होते हैं? परिणाम, अलग-अलग तरह के नुकसान हो सकते हैं। रिश्तों की तोड़फोड़ से लेकर, बिमारियों और मौत तक। ये गंभीर विषय है, जिसपे राजनीती या बड़ी-बड़ी कम्पनियाँ नहीं चाहती की बात तक हो? क्यों? ये Social Engineering का हिस्सा है और एक तरह से अंजान, अनभिज्ञ लोगों का इस्तेमाल मानव रोबॉट की तरह करना है। वरना, किसी भी JD का, किसी और JD से कोई लेना देना नहीं। 
सच में?  
सच में, अगर हम उनकी कहानी घड़ ईधर-उधर घुमा, जबरदस्ती एक जैसा-सा दिखाने या कहीं न कहीं समझाने की कोशिश ना करें तो। हर इंसान अनोखा है और हर किसी की अपनी ही कहानी। मगर राजनीती और टेक्नोलॉजी का जहाँ जरुर उन्हें अजीबोगरीब ढंग से जोड़ रहा है कहीं न कहीं और शायद influence भी कर रहा है। वो भी लोकल स्तर पर ही नहीं, बल्की दुनियाँ भर में और वो भी समाज के अलग-अलग स्तर पर। कैसे? इसको शायद आप आगे और पोस्ट के जरिए समझ पाएँ।          

Views and Counterviews? 14

Media culture and immersion

Media Culture Ingredients

The Agency

You, any person or lab animal or living being?

Tools 

Live and digital watch Interceptors, Control room and news centre, Sattelite and Radar 

And Offensive: Just snapshot/s?

Immersion

Daily practice, training in enforced or specially buit or desined ingredients, environment, ecosystem. Important to know even withour knowledge, forget consent. 

Innovation Centre or Life Design 

Know everything possible you can about any person or subject of your experimentation and then? Design.

Like 

Weather manipulations or weather control?

Human control or control of humans by humans and making of human robots?

Can they be one and same thing? Or at least concept seems similar? How can we correlate them? How these simingly similar concepts can be used to design the lives at population or at individual level? Simple, by altering media culture? Like human physiological or chemical manipulations? Surrounding or psychological manipulations? Change the media culture as per requirements and how difficult it is to design human robots? 

Human robots having specific births, life events, diseases and even special kinda death at particular place and time? And interestingly, it's already happening in today's world.

Media culture and immersion, will be the flavor of some more interesting posts.

Views and Counterviews? 13

Microbio Lab Vs Built Environment or Artificial Environment or Highly Controlled Lab

Creation of cumulative effect via built environment or Micro lab creation. Wonder, how much both term match with each other?

Mixed realities and

Augmented realities?

Microbio (and microlabs) is an old subject. Buit Environment, mixed realities or augmented realities? Don't know? Terms can be new but subjects are not? 

Ecosystem or Social Research? Or Biological and Environmental Research? 

One and same thing?

  1. System Design or Biosystem Design or Built Environment or any such name or design like Life Design?
  2. Sample whole world? Sample whole world? 
  3. Target at population and individual level? 
  4. Persistant control and manipulation at the core of this design?                                                   Who can do it? Companies like blah, blah, blah alongwith?
  5. Beneficiaries? Upper strata or designers? 
  6. Losers? Subject matters without knowledge, mostly middle class or lower strata of society?
Questions? And so many questions? You wanna answer? Try it. Maybe some good research questions for your next project? And that research project can be at any level, in any field, for any person, at any strata or social level?

Views and Counterviews? 12

Repost (28-7-24)

उकसावे? माहौल? और राजनीती? 1

आप जो करते हैं, क्या वो खुद ही करते हैं? या आपसे कोई करवा रहे हैं? अद्रश्य कोई? अद्रश्य होते हुए भी, जो बहुत अद्रश्य ना हों? कौन हैं ये, अद्रश्य? सुरँगे, राजनीतिक पार्टियों की?

कोई कहीं पढ़ाई-लिखाई और किताबों की बातें करे और कहीं वक़्त-बेवक़्त, हुक्कों की महफ़िल सजने लग जाएँ? ये सब अपने आप हो रहा है? आप खुद पुरे होशो हवास में कर रहे हैं ना? या आपसे करवाया जा रहा है? कहकर या गुप्त तरीके से, किन्हीं राजनीतिक पार्टीयों द्वारा? ज्ञान, विज्ञान, टेक्नोलॉजी और सर्विलांस एब्यूज, इन सबमें अहम है। जो जितना ज्यादा, अंजान-अज्ञान और भोला है, उसे उतनी ही आसानी से, मानव रोबॉट बनाया जा सकता है।      

मान लो, कहीं कोई शर्त लगी हुई हैं, किन्हीं लड़कियों को पटाने की या उनसे कुछ करवाने की, जैसे अक्सर रैगिंग में होता था, सीनियर्स द्वारा। 

और समान्तर सामाजिक घड़ाईयाँ: कहीं कोई, आपको कोई कबूतरबाज़ी सीखा रहे हैं? या पतंग उड़वा रहे हैं? या fishing करना सीखा रहे हैं? या ऐसे-ऐसे वयव्सायों में लगा रहे हैं? ये सब आप खुद कर रहे हैं? या आपसे कोई करवा रहे हैं? मगर खुद अद्रश्य होकर?

कहीं कोई कुछ गाने या म्यूजिक वैगरह सुन रहे हैं, 

और समान्तर सामाजिक घड़ाईयाँ: कहीं और जगह आपको कोई बोतल थमा रहे हैं या ड्रग्स? अरे नहीं, आप तो वो सब खुद अपनी मर्ज़ी से कर रहे हैं ना? या कोई राजनीतिक पार्टियाँ, अद्रश्य तरीके से धकेल रही हैं?

कहीं कोई छोटी-मोटी रैगिंग से आगे निकल, जुआ खेल रहे हैं, आदमियों को गौटियों-सा ईधर से उधर धकेल रहे हैं। सट्टा बाजार संग, सत्ताएँ बदल रहे हैं। और आप? 

और समान्तर सामाजिक घड़ाईयाँ: सिर्फ, कबूतरबाज़ी या पतंगबाज़ी या फिशिंग से आगे निकल, दाँव लगाने लगे हैं? जीतने-हारने लगे हैं? घर के लिए या किन्हीं खास कामों के लिए, जो थोड़े से पैसे थे, उन्हें भी? या शायद कुछ जीत भी रहे हैं और अभी तक तो मस्त हैं? इसके आगे? कहीं लोगों को ही दाँव पे तो नहीं लगाने लग जाओगे? घर-बार जमीनें तो नहीं गँवाने लग जाओगे? वैसे, ये सब आप खुद ही कर रहे हैं ना? पूरे होशो-हवास में? कहीं कोई अद्रश्य, राजनीतिक सुरँगे तो नहीं करवा रही? इन सुरँगों के कारनामों का बहुत ही छोटा-सा उदाहरण, अभी सुनील की ज़मीन का है। और? हूबहू, यूनिवर्सिटी की घर के रेंट की कहानी। कुछ लोगों के नाम और कारनामे भी हूबहू? 

हकीकत? समाज के प्रहरियों से पूछ लेते हैं  

सब कुछ दुनियाँ भर के शासन-प्रसाशन, पुलिस, इंटेलिजेंस, खुफिया-तंत्र, सेनाओं और पत्रकारों की रिकॉर्डिंग के बावजूद हो रहा है ना? ये समाज कौन घड़ रहा है? 

जैसे NEO सर्विलांस और रोबॉटिक्स? जितनी ज्यादा किसी भी मशीन के बारे में जानकारी, उतना ही आसान है, उसे अपने अनुसार चलाना। इंसान भी एक मशीन ही है। बस थोड़ा-सा अभी तक इंसान द्वारा बनाई गई मशीनों से ज्यादा दिमाग है। मगर, जहाँ उसे प्रयोग करने वाले होते हैं, वहाँ। शराब के नशे में या ड्रग्स के नशे में तो दिमाग वैसे ही आधा-अधूरा सा काम करता है। उसपे अगर कुछ खास तरह के जानकारों द्वारा, कुछ और खास खिला-पिला दिया जाए तो? बल्ले-बल्ले, किसकी? जुर्म करने वालों की। नहीं? यही हो रहा है ना, समाज में? बिमारियों और मौतों में तो और भी बहुत कुछ, आम आदमी की समझ से बहुत परे।       

इन्हें और ऐसे-ऐसे से कुछ एक कारनामों को आगे जानने की कोशिश करते हैं, की ये राजनीतिक पार्टियाँ ये सब करवा कैसे रही हैं?  

भाभी की मौत का आँकलन उनमें से एक अहम कड़ी है, मानव रोबोट बनाने वाली इस प्रॉसेस को समझने की। क्यूँकि, तथ्योँ को आप जितना पास से देख, समझ पाते हैं, उतना ही आसान होता है, उनके किर्यान्वन (Process) को जानना या बता या समझा पाना। 

NEO सर्विलांस और रोबॉटिक्स के ड्रामों ने उसे समझने में और सहायता की। और उससे भी ज्यादा मदद की खुद हमारे राजनीतिज्ञों ने? उनके रोज-रोज के कारनामों और सोशल प्रोफाइल्स ने। तो कहाँ से शुरु करें? भारत, अमेरिका, या यूरोप? ऑस्ट्रेलिया अभी भी शायद मैंने कोई खास नहीं पढ़ा या जाना-समझा है। Across continents क्यों? ये शायद और भी रौचक है, की सच में दुनियाँ इंटरनेट ने या टेक्नोलॉजी ने इतनी छोटी बना दी है? सच में सबकुछ एक दूसरे को इतना प्रभावित करता है? शायद? तो जानने की कोशिश करें?                                             

Tuesday, January 21, 2025

Views and Counterviews? 11

 What's happening here?


New York Stock Exchange and 
Vice Chancellor and team of UC Berkeley?



महारे बावली बूचाँ के अड्डे, अर घणे श्याणे?  साँड़ बाजार (Bull Market?) वाली पोस्ट से, इस पोस्ट का क्या संबंध? 
आगे वाली पोस्ट में और जानने की कोशिश करें? 

Sunday, January 19, 2025

Views and Counterviews? 10

Human Robots

मुझे राजनीती पसंद नहीं। 

तुम राजनीती को पसंद करो या नहीं, मगर राजनीती तुम्हारी ज़िंदगी में हर जगह है। तुम्हारी ज़िंदगी का हर निर्णय राजनीती ले रही है। 

और आप सोचते हैं, कैसा पागलपंथी वाला ज्ञान है?

और धीरे-धीरे सालों बाद या कहो की तकरीबन एक दशक बाद पता चलता है, की ये तुम्हारी ज़िंदगी का मतलब यहाँ हर इंसान या हर जीव और निर्जीव की ज़िंदगी है।

इसलिए इसे ऐसे पढ़ना या समझना चाहिए था, "तुम राजनीती को पसंद करो या नहीं, मगर राजनीती तुम्हारी (हर जीव और निर्जीव की) ज़िंदगी  में हर जगह है। तुम्हारी (हर जीव और निर्जीव की) ज़िंदगी का हर निर्णय राजनीती ले रही है।"

रौचक ये की ये सब समझाया भी राजनीती ने ही है। राजनीती कितने गुप्त और अजीबोगरीब ढंग से, लोगों को अपना गुलाम, नहीं रोबॉट सही शब्द है, बनाए हुए है। सिर्फ यूनिवर्सिटी या किसी भी रिसर्च इंस्टिट्यूट की दिवारों तक सिमटकर ये सब समझ नहीं आ सकता। या यूँ कहो की ये इंस्टिट्यूट आपको प्रोमोशन के लिए या आगे से आगे कुर्सियाँ पाने के लिए, नंबर इक्क्ठे करने वाला नंबरी अकाउंटेंट जरुर बनाते हैं। इससे आगे तो? शायद ज्यादातर नहीं? ऐसे ही जैसे राजनीती? वो भी नंबरों का खेल ही है? इससे आगे? इससे आगे उन नंबरों को पाने के लिए कैसी भी जोड़तोड़? कैसी भी, मतलब कैसी भी? खुंखार खेल, बिमारियों का और मौतों का? लोगों को यहाँ से वहाँ खदेड़ने का या बसाने का? ज्यादातर आम लोगों को? बाकी कभी-कभी, धरे बड़े-बड़े नेता लोग भी जाते हैं? हालाँकि, ज्यादातर उनकी मौतों का निर्णय भी और शायद ज़िंदगी का भी, लेता यही सिस्टम है। ताना-बाना, चक्रव्यूह जैसे, इस पार्टी का, उस पार्टी का और उनसे उपजी खिचड़ी का? 

कभी-कभी इसलिए, की ज्यादातर उनको उनके संसाधन बचा लेते हैं। जो की आम लोगों के पास नहीं होते। या कहो की उन्हें खबर तक नहीं होती, की उन्हें मार क्या रहा है? या इतनी तरह की बिमारियाँ या ऑपरेशन उनके ही क्यों होते हैं? या वो उन्हें झेल क्यों नहीं पाते? या कितना झेल पाते हैं? इतना क्या गाना? ज़िंदगी के छोटे या लम्बे होने का निर्णय, ज्यादातर लिविंग स्टैंडर्ड लेता है? क्या बोलते हैं उसे? Human Development Index, मानव विकास सूचकाँक? और ये इंडेक्स, ज्यादातर कहीं की भी राजनीती बनाती या बिगाड़ती है? इस सबका मानव रोबॉट्स से क्या लेना-देना? इंसान जितना गरीब, अंजान या अज्ञान होता है, वो उतनी ही आसानी से, इन पार्टियों द्वारा अपने अनुसार ढालने के लायक होता है। गरीब के साथ अंजान और अज्ञान होना अहम है। इसलिए मिडल क्लास या अमीर भी, अगर अंजान और अज्ञान है, मानव रोबोट बनाने वाली इन फैक्टरियों और राजनीती के समुहों से, या उनके तौर-तरीकों से, तो धरा वो भी जाता है। इनके जालों से या चक्रव्यूहों से बचने का जानकारी ही एकमात्र रहस्य है। सही जानकारी। जितनी सही जानकारी होगी, उतना ही ज़िंदगी सही होती जाएगी, जालों-जंजालों के बीच भी या दुष्चक्क्रों या चक्करव्यूहों से बचने के लिए।    

Saturday, January 18, 2025

Views and Counterviews? 9

Saving release वाली फाइल पर क्या चल रहा है?

आपको पता चले तो मुझे भी बताना। ये भी की किसी फाइल को कोई ऑथोरिटी कब तक रोक सकती है?

Feb 2023 में कौन से इलेक्शन थे? तभी से शायद इलेक्शन ही चल रहे हैं? इलेक्शन तो पता नहीं, पर भाभी जरुर गए थे Feb 2023 में। जब मुझे अपनी सेविंग की खास जरुरत थी और गुड़िया को किसी माहौल से निकालना था। तो क्या किया यूनिवर्सिटी ने? उसके बाद भी कई बार रिक्वेस्ट की गई, खासकर, जब-जब मेरी हैल्थ जवाब देती नज़र आई। मगर कुर्सियों पर बैठे जुर्म और जुए के ठेकेदारों पर कोई असर नहीं हुआ। अब भी कहीं उनका कोई इलेक्शन तो नहीं चल रहा? ऐसी-ऐसी ऑथॉरिटीज़ के खिलाफ, इतना वक़्त ऐसे किसी कर्मचारी की सेविंग पर कुंडली मारने पर कहीं कोई सजा का प्रावधान भी है क्या? ये ऑनलाइन वाले न्यायलयों और न्यायधीशों के नोटिस के लिए।  

वैसे, ऐसे कुंडली मारने वाली पार्टी हारती नहीं है क्या?

वैसे किसी भी यूनिवर्सिटी का, इलेक्शन से किस तरह का लेना देना हो सकता है? 


 

   

 

Views and Counterviews? 8

Media Culture and Immersion

क्या हम किसी Stand up कॉमेडी को भारत के इलेक्शंस से जोड़कर देख सकते हैं?


क्या होता होगा ऐसे इलेक्शंस में? 

फिर भारत में तो कहीं न कहीं इलेक्शंस चलते ही रहते हैं। जैसे, आजकल दिल्ली में फरवरी में होने वाले इलेक्शंस का प्रचार-प्रसार जोरों पर है। कैसी-कैसी रेवड़ियॉँ बाँट रही हैं, राजनीतिक पार्टियाँ? या कहो की कैसे-कैसे लुभावने वादे कर रही हैं? और कितना खरा उतरती हैं, वो उन वादों पर? कुछ लोग तो, ऐसे-ऐसे इलेक्शंस के नाम पे ही अपने घर बैठ जाते होंगे शायद? जुआरधन्धे के गुंडों की भेंट चढ़ने से बढ़िया विकल्प होगा शायद?    

Views and Counterviews? 7

Media Culture and Immersion


जैसे, "जितनी चाबी भरी राम ने, उतना चले खिलौना" के कितनी तरह के Media Culture और Immersion हो सकते हैं? 
जितनी चाबी भरी राम ने, उतना चले खिलौना, किसी के लिए कोई बॉलीवुड गाना हो सकता है और किसी के लिए? शायद कोई भजन?
  
ऐसे ही कितने ही शब्द और वाक्य या वाक्या हो सकते हैं? और कितनी ही तरह के Media Culture और Immersion लिए हुए? यही Media Culture और Immersion, किसी भी जीव की दिशा और दशा का निर्णय लेते हैं। 
ये समझ आया, माँ के फोन को देख कर। जो भाई पीता था या थोड़ा बहुत अभी भी पीता है, उसके फ़ोन को देखकर। सिर्फ आसपास का सर्कल या लोगों को जानकार नहीं। भाभी की मौत के बाद, जो औरत अचानक घर आई, उसकी थोड़ी बहुत कहानी जानकार। आसपास की कई सारी मौतें और उनके लिए जिम्मेदार कारण और कारक जानकर या समझ कर। सिर्फ़ बिमारियाँ नहीं। ऐसी-सी, छोटी-मोटी बिमारियाँ तो कितनों को ही होती हैं या कहो की सभी को होती हैं। निर्भर करता है, की पता कब और कैसे लगता है? और ईलाज क्या होता है? 

ईलाज? कितना सटीक या अजीबोगरीब? Media Culture, कितना controlled या not so controlled? Management? Micromanagement, हर वयक्ति के स्तर पर?     
  

Friday, January 17, 2025

Views and Counterviews? 6

What are you cooking?
Cooking?
What's the flavour of your dish?
In lab, dish or petridish? 
Not lab. Or suppose, your lab is a political kitchen.
Petridish in the kitchen? Then why to call it a petridish? In layman's language, cannot it be called a circle? 
Like, what are you cooking or some people are cooking in the drawing room, baithak, gossip circle? 

It maybe domestic circle? Office circle? National circle or international circle? Academic circle? Political circle? Media circle? Video gamers circle? Playground gamers circle? And there can be so many circles.
What would be the ingredients of their media culture then?
Depends, what you wanna design or engineer?

Like?

Media Culture and Immersion?

Like 

Weather manipulations or weather control?

Human control or control of humans by humans and making of human robots?

Can they be one and same thing? Or at least concept seems similar? How can we correlate them? How these simingly similar concepts can be used to design the lives at population or at individual level? Simple, by altering media culture? Like human physiological or chemical manipulations? Surrounding or psychological manipulations? Change the media culture as per requirements and how difficult it is to design human robots? 

Human robots having specific births, life events, diseases and even special kinda death at particular place and time? And interestingly, it's already happening in today's world.

Media culture and immersion, will be the flavor of some more interesting posts.

Thursday, January 16, 2025

Views and Counterviews? 5

राजनीती का कीचड़ (और जनता रुपी रोबॉट्स) 

हम बाँटेंगे दारु?

तुम ज़मीन खिसका लेना?

कोढ़ो के इस खेल में 

घर क्या, नौकरी क्या?

क्या रिश्ते-नाते?

प्राइवेट क्या और क्या सरकारी?

सब हैं हमारे, 

जुआरियों के, राजनीतिक पार्टियों के? 

सब कुछ ईधर से उधर खिसका 

कुछ हम अपने नाम कर लेंगें?

कुछ तुम अपने नाम कर लेना? 


आम जनता तो बेचारी, 

हमारे लिए काम करने को ही है? 

उनकी ज़िंदगियों पे है, अधिकार हमारा?

जैसी चाबी भरेंगें हम, 

वैसे ही वो चलेंगें? 

जैसे मानव रोबॉट? 

Social Engineering and Human Robots? 

राजनीतिक पार्टियों को शायद इस धंधे से थोड़ा आगे निकलना चाहिए?

आगे? बुरे की तरफ? या भले की तरफ?

क्यूँकि, जो कुछ यहाँ लिखा जा रहा है, वो सब भी कहीं न कहीं, इन्हीं पार्टियों से निकल कर आ रहा है। मतलब, सम्भावनाएँ तो काफी हैं, अपनी-अपनी तरह की Social Engineering की या Social Designing की?        

Saturday, January 11, 2025

Views and Counterviews? 4

दुनियाँ की एक अलग ही तरह की classification, जैसे?  

Gaming Cities? Universities? Or University Towns or Cities?

Gambling Cities? Universities? Or University Towns or Cities?

Political Power Houses? Universities? Or University Towns or Cities?

Tech Towns? Universities? Or University Towns or Cities?

Defence Towns? Universities? Or University Towns or Cities?

Film cities or Fin (Financial) Cities? 

And Countryside? Villages and not so developed areas?  

कुछ नए, कुछ पुराने और कुछ धरोहर जैसे? हर देश में या ज्यादातर बड़े देशों में तो मिलेंगें ही मिलेंगें। 

जैसे पीछे पोस्ट में लिखा "Go Gators", क्या है ये? किसी यूनिवर्सिटी का खेल का मैदान? और उसका अपना स्लोगन? या किसी यूनिवर्सिटी या उस यूनिवर्सिटी और उस यूनिवर्सिटी टाउन का अभिन्न-सा हिस्सा? Aligators (Short gators?)? 

सालों पहले जब ऐसा कोई विडियो देखा था, तो उसका असर दिमाग पर क्या था? और फिर से उस यूनिवर्सिटी या उसके साथ-साथ दुनियाँ भर की यूनिवर्सिटीज को पढ़ना, समझना शुरु किया, तो क्या समझ आया? समय और राजनीती के हिसाब-किताब सा बदलता सबकुछ? हमारी सोच भी? क्यूँकि, उसने इस दौरान काफी कुछ ऐसा देखा, जाना या समझा है, जिसका पहले कहीं कोई अंदाजा ही नहीं था, की ऐसे भी हो सकता है?

जैसे यूनिवर्सिटी के खँडहर से गाँव के खँडहर तक? हैं दोनों खँडहर, मगर फर्क? दिन और रात जैसे? तो खँडहर में ही रहना है तो किसी ऐसे खँडहर में तो रह लो, जो आपको सदियों पीछे ना धकेले? या फिर खँडहर में रहना ही क्यों है? जो पीछे गलत हुआ है, उसे आगे दोहराने का मौका ही क्यों? कहना आसान है, मगर इस तरह के युद्धों में बच पाना? जैसे पिछे हुआ, की आप कहीं कुछ जानने निकलते हैं और कहीं मकड़ी के जाले-से लपेट दिए जाते हैं? 

तो Media या Journalism में रुची, इसी कुछ जानने निकलने का परिणाम था। क्यूँकि, इस अजीबोगरीब कैद के दौरान, जितना मीडिया ने दिखाया या समझाया, ऐसे माहौल में उसके आसपास भी जान पाना तकरीबन असंभव था। सबसे बड़ी बात खुद मीडिया का रोल भी, बुरा या भला, खुद मीडिया को पढ़कर या देख, सुनकर समझ आया। तो इस दौरान मैंने Life Sciences के साथ-साथ Media, Journalism और Communication के इंस्टिट्यूट को भी खँगालना शुरू कर दिया था। यहीं से निकल कर आया Media Culture Concept, जिसे हकीकत में गाँव आने के बाद हर रोज Social Engineering के रुप में अपनी आँखों के सामने होता देख रही थी या कहो हूँ। जैसे की Elephant in the room? असली मुद्दों की बात मत करो। ज्यादा प्रश्न नहीं, खोजबीन दिमाग को टाटा, बाय-बाय बोलो और जो कहो मिलेगा। जैसे कहा जा रहा हो, ज़िंदगी क्यों नहीं जीते, कहाँ उलझ रहे हो ये? इस खोजबीन में मौत के इलावा, कोई और प्रसाद नहीं है। 

Social Engineering वो interdesciplinary subject है, जो आने वाले समय में अपने आप में खुद की यूनिवर्सिटी या इंस्टिट्यूट बनाने वाला है। संस्थान तो आज भी बहुत हैं, जो इस विषय पर अलग-अलग  रंग-रुपों में काम कर रहे हैं, अलग-अलग तरह की खिचड़ी पकाकर।   

जैसे पीछे दो यूनिवर्सिटी के विडियो आपने देखे। दोनों, दो अलग-अलग महाद्वीपों से। एक पे तो कहीं कमेंट भी कुछ ज्यादा ही अजीबोगरीब से पढ़ने को मिले। बस यही रह गया था, दुबई? US, Europe को छोड़ के? 

नहीं। उन्हें छोड़ के नहीं, बल्की उनके साथ-साथ, एक दुनियाँ ये भी है। जिसका अलग तरह की परिस्थितियोँ के संदर्भ में, अलग तरह का अंदाज है शायद, आगे बढ़ने का? 

जैसे मुझे CJC पे किसने पहुँचाया? JCB ने? या CC ने? गाँव आकर JCB के इतनी तरह के ड्रामे और आकार-प्रकार देखे, की लगा ये C-SPAN से इनका कोई सम्बन्ध है क्या?

तो फिर कहीं VAN ने Vancouver, तो कहीं दीदी (DD O DD) जैसे गाने वालों ने, किसी और ही JD तक भी पहुँचाया। Reflection लिखना शुरु किया, तो JD Vance और उसकी किताब। वहाँ से आप Ohio भी पहुँचते हैं। और अलग-अलग यूनिवर्सिटी या शहर के राजनीती के हिसाब-किताब के अलग-अलग तरह के जाले भी देखते हैं। इंटरनेट और टार्गेटेड एल्गोरिथ्म्स को समझे बिना अलग-अलग समाजों की एक जैसी-सी कहानियों की घड़ाईयोँ या ज़िंदगियों को समझना कहाँ संभव है? जैसे East Coast Vs West Coast? 80 Vs 20? 

और हद तो तब हो गई, जब दादा जी के उस छोटे से खजाने को सॉफ्ट कॉपी बनाना शुरु किया। पता ही नहीं क्या, क्या गड़बड़ घौटाला जैसे? यही ना समझ आए, की इन गड़बड़ करने वालों ने बिना उल्ट-फेर किए, कुछ बक्सा भी है? ये सब जान समझकर, JA से JD के सफर पर आसानी से जा सकते हैं आप या शायद रिवर्स भी? यहाँ टारगेट सिर्फ आप नहीं हैं। हर इंसान, हर जीव, हर निर्जीव है। बस उन्हें गलत या बुरे से बचने और बचाने की जरुरत है।

Thursday, January 9, 2025

Views and Counterviews? 3

Gaming, Circus or Gambling Powers?

जब हम यूनिवर्सिटी की बात करते हैं, तो दिमाग में क्या आता है? 

पढ़ाई-लिखाई, रिसर्च? या खेल-कूद, लड़ाई-झगड़े, वाद-विवाद, युद्ध या जुआ? राजनीतिक या बड़ी-बड़ी कंपनियों का साम्राज्य?     

शायद ये सब? पिछले कुछ साल, दुनियाँ भर की यूनिवर्सिटीयों के पेज खँगालते-खँगालते ऐसा लगा, जैसे दुनिया के रचयिता यही हैं? कुछ ज्यादा तो नहीं हो गया? इसीलिए लिखा है, ऐसा लगा। 

इस सब पर आने से पहले एक छोटा-सा वाक्या बताती हूँ। आपका भेझा जैसे फट रहा है गुस्से से, और आप अपनी यूनिवर्सिटी को ही ब्लास्ट करना चाह रहे हैं। मगर दिमाग का कोई हिस्सा जैसे कह रहा हो, की ऐसी जगह से दूर होना बढ़िया है। आप VC ऑफिस पहुँचते हैं और जाने किस बात पर VC बोलते हैं, "मैं इससे ज्यादा नहीं कर सकता।"

ये शब्द कहीं भी फिट नहीं बैठ रहे। क्यूँकि, आपके हिसाब से तो आपने कुछ खास कभी माँगा ही नहीं। सिर्फ और सिर्फ, अपने प्रोफ़ेशनल अधिकारों के सिवाय। और VC और ऑथॉरिटीज़ वहीं फेल नज़र आए। समझ ही नहीं आया, की वो काम किसके लिए कर रहे हैं? यूनिवर्सिटी का मतलब क्या है?  

आपने अपनी क्लास और लैब्स में या डिपार्टमेंट में हो रहे गड़बड़ घौटालों को रोकने की बात की थी। सिर्फ और सिर्फ अकादमिक एनवायरनमेंट माँगा था, ताकी आप अपनी जॉब सही से कर पाएँ। उसपे इन्हीं ऑथॉरिटीज़ ने कोई जवाब ही नहीं दिया। आपकी शिकायत जाती रही, कूड़े के डस्टबिन में। और वो कहीं और ही घुमाते रहे। जो उनका अधिकार ही नहीं है, आपका पर्सनल स्पेस।     

धीरे-धीरे समझ आया की क्या UGC, क्या CSIR और बाकी अकादमिक इंस्टीटूट्स। सब जैसे यही खेल रहे हैं। और मन बना, भारत छोड़ना है। और कोई चारा ही नहीं है। यहाँ से शुरु किया, इंटरनैशनल अकादमिक ज़ोन को जानना। ऐसा नहीं की पहले कोई खोज खबर ही नहीं थी। मगर ऐसे नहीं, जैसे अब हो रही थी। ऐसे तो कभी पढ़ा ही नहीं, देखा ही नहीं या सोचा ही नहीं। दुनियाँ भर की यूनिवर्सिटीयाँ और राजनीती का गढ़ जैसे? राजनीतिक कुर्सियों और बड़ी-बड़ी कंपनियों के गठजोड़ से बने गुटों के बीच बटे ये सँस्थान। और उन गुटों के एजेंडा को समाज के स्तर पर उतारने में आगे बढ़ाते हुए उनके पायदान? इससे आगे कुछ भी नहीं?

या शायद इससे आगे और ऐसे माहौल के खिलाफ भी, समाज को कम से कम इस सबसे अलग परोसते, इन्हीं संस्थानों में से कुछ एक सँस्थान भी? या इन्हीं संस्थानों में कुछ एक समुह? क्यूँकि, एक तरफ जहाँ ज़्यादातर ज़िंदगियाँ खप जाती हैं, घर, गृहस्थी के दायरे में और उनके लिए अच्छी ज़िंदगी जुटाने में। वहीँ, यूनिवर्सिटी जैसी जगहें, उनसे थोड़ा अलग तरह का वातावरण और स्पेस भी हैं, दुनियाँ के बारे में सोचने, समझने और काम करने के लिए। पर्सनल स्तर पर आपके विचार किसी भी विषय पर क्या हैं या अपनी ज़िंदगी आप किस दायरे में जीते हैं, जरुरी नहीं, वैसे ही विचार सब पर थोंपे। यही विविधता में एकता है। और ये हमें ऐसे दायरों में कैद करना नहीं सिखाती। बचपन से शायद यही पढ़ा और सीखा था। मगर पीछे का दशक, कहीं न कहीं उस सामजस्य को जकड़ता और कैद करता नज़र आया। 

उस कैद को टेक्नोलॉजी ने ख़तरनाक स्तर पर पहुँचा दिया। जहाँ इंसान, इंसान कम, इन बड़ी-बड़ी कंपनियों का गुलाम, मानव रोबॉट ज्यादा नज़र आया। ये नज़र भी कुछ एक यूनिवर्सिटी के प्रॉजेक्ट्स ही समझा और बता रहे हैं। फिर चाहे वो यूरोप हो या USA या ऑस्ट्रेलिया। एशिया अभी भी काफी पीछे है शायद? चीन को छोड़कर? या शायद, मैंने एशिया के बारे में अभी उतना नहीं पढ़ा? 

तो इस बार के ABCDs of Views and Counterviews में किस यूनिवर्सिटी की सैर पर चलें?

Go Gators? U of F? और CJC? मगर CJC ही क्यों? 

जानते हैं आगे पोस्ट में।  

Sunday, January 5, 2025

Views and Counterviews? 2

 I came across some interesting advertisement

This is also a view?

Or maybe counterview?

Of education at university level?

University of W?

Wollongong in Dubai (Australian University?)


Mining? 
Sea? Or land?
And making towers of concrete?
Selling oil?
And creating a world of their requirements?
Adjustments and adaptability?
Amid sand dunes, sea and deserts?
Or?
Maybe so many things for different people? 
At least, they are not snatching some poor people's lands
by deception, by kidnapping? 
Or by taking away from own people?
Or
Kicking out women from workplaces by beating? 
and creating hurdles at every step?
Throwing them away to khandhars 
without water and even bathroom?
and
Blocking economically, every possible way?
Because, they are not listening to their illegal dictates?
Their strangest stickers and stigmas?
Like talibans?
I don't know if talibans behave like that with their women?

Or maybe 
Like a world 
Divided into adobe and canva?
Google and microsoft?
Samsung and IFB?
Or maybe
Hindu, muslim, sikh, christian etc.? 
Wonder at times,
If these are economic fights of big world?
And big chairs?
Or mere illiterate, superstitious style world dictates?

Our world fights?
Or their world fights?
Our dreams and challenges?
Or their enforced kinda dreams and challenges?
Sure, this is not my world, 
my dreams or challenges.
Then whose world?

Wednesday, January 1, 2025

Views and Counterviews? 1

आप यूनिवर्सिटी में पढ़ रहे हैं? या पढ़ा रहे हैं?

या यूनिवर्सिटी को पढ़ रहे हैं?

How to look at universities around the world? Across the continents? From different perspectives, different languages and different cultures? 


ABCDs of Views and Counterviews?

They have some name and then some numbers. And they belong to or represent those codes?


A For 
Alabama?
Arizona?
Allahabad?
Adelaide?
Auckland?

B for 
Banglore?
Berkeley?
British Columbia?
Bonn?

 C for 
Calcutta?
California?
Curtin?
Cambridge?

D for
Delhi?
Dublin?
Deakin?
Dubai?

E for 
Emory?
Edinburgh?
European?

F for 
Florida?
Findlay?
France?

G for 
GJU?
Georgia?
Glasgow?
Griffith?

H for 
Himachal Pradesh?
Harvard?
Houston?

I for 
Indiana?
Illinois?
Idaho?
Iceland?

J for 
Jerusalem?
JNU?
Jammu?
Johannesburg?
Jordan?

K for 
Kashmir
Kurukshetra?
Kingston?
Kansas?

L for 
Louisiana?
Laval?
London?
Lausanne?
Ladakh?

M for 
Mumbai?
Moscow? 
Melbourne?
Michigan?

N for 
Nainital?
North Carolina?
Newyork?
New South Wales?

O for 
Odisha?
Oxford?
Ottawa?
Oregon?
Oslo?

P for 
Pondicherry
Pensilvinia?
Pitssburgh?
Paris?

Q for 
Quebec?
Queensland?
Queenmary?
Qatar?
 
R for 
Rajasthan?
Richmond?
Regina?
Rutgers?

S for 
Seatle?
Strasbourg?
Stockholm? 
Shimla?
Sydney?

T for 
Tasmania?
Takshashila?
Texas?
Toronto?
Tokyo?
 
U for 
Utah?
Uppsala?
Urbana Champaign? 

V for 
Vishva Bharti?
Victoria?
Virginia?
Vienna?
Vermont?

W for 
Western Australia?
Washington?
Wyoming?
Warwick?
Waterloo?

X for
Xavier?
Xiamen?
Xalapa?

Y for 
Yale?
York?
Yorkshire?
Yaounde?

Z for 
Zuric?
Zakho?
Zadar?
Zanjan?

जो ऊप्पर लिखा है, वो ऐसे ही random हैं, क्यूँकि सबको एक पोस्ट में लिखने पर ये पोस्ट बहुत लंबी हो जाती। इनके अलावा भी कितनी ही यूनिवर्सिटी हैं दुनियाँ भर में।  

तो ABCD के आखिरी शब्द से ही शुरु करें?
 Z for Zuric?


इसमें आपको क्या कुछ समझ आ रहा है? 

आते हैं आगे ऐसे ही अलग-अलग तरह के विचारों और सन्दर्भों पर। 
ABCD के अलग-अलग कलाकारों के साथ, 
दुनियाँ के अलग-अलग हिस्सों से, अलग-अलग रंगरुपों में, 
अपनी ही तरह की पहचान लिए हुए?
या सबकुछ जैसे, इंदरधनुष-सा सजाए हुए?
कोई इस विज्ञान में महान है, तो कोई उसमें? 
कोई इस कला में, तो कोई उस कला में?  
कोई इस टेक्नोलॉजी में, तो कोई उस टेक्नोलॉजी?
और कोई? और भी कितने सारे कोई हो सकते हैं?
जैसे? जानते हैं आगे की पोस्ट में।  

किसी भी जगह, गाँव या शहर, राज्य या देश को जानना है, तो उसके शिक्षा के स्तर, तौर-तरीकों, संस्थानों, संसाधनों और उनसे उपजे उत्पादों  को जानिए, वही उस समाज की झलक है। वहाँ जो कुछ अच्छा है, वैसा-सा ही कुछ उसके समाज में। वहाँ जो कुछ बुरा है, उसी की झलक उसके समाज में मिलेगी। सिस्टम की और वहाँ की राजनीती के कोड्स की झलक भी बड़े अच्छे से मिलती है शायद, इन संस्थानों से।      

Happy New Year 01 - 01 - 2025