Views and Counterviews 95

 जाने क्यों ये विडियो बार-बार मेरे यूट्यूब पर आ रहे हैं? कह रहे हों जैसे, सुनो हमें? जाने क्यों लगा, की ये तो रौचक हैं      प्रशांत किशोर  V...

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Wednesday, January 29, 2025

ABCDs of Views and Counterviews? 17

 Predict? Forcast?

Mirror Image?

वैसे ऐसे ही किसी और कंपनी के लोगो को भी घुमा कर देख सकते हैं। 


भविष्य जाने?

अनुमान लगाना? अंदाजा लगाना ? भविष्य बताना? ज्योतिष विद्या?  

और कितने नामों से जानते हो? अंग्रेजी में उसे Prediction कहते हैं। जैसे मौसम का अंदाजा लगाना? या फिर कौन आएगा आपके पास? या आप जाएँगे किसके पास? या आपने कोई पेपर दिया है? उसमें पास होंगे या फेल? या आपकी कितनी उम्र होगी? या आपकी शादी या बच्चे कब होंगे? कितने होंगे? या आपकी कौन-सी नौकरी लगेगी? या आपके व्यवसाय में कितना फायदा होगा? या आपकी फसल कैसी होगी? या आपके बच्चों का भविष्य शायद?  

भला इसमें भी क्या नया है?
ये तो हमारे पुरखे कब से यहाँ-वहाँ जानने के लिए पहुँचते रहते थे या शायद अभी तक भी जाते हैं? वो सुना है, हे वो पतरे काढ़ा करै, अर उसके काढ़े पतरे साच जां सैं? या फलाना-धमकाना ज्योतिष या बाम्हन कती साच बतावे सै? यही ना? जैसे मेरे बुजुर्ग भी पता नहीं पापा का पता करने कहाँ-कहाँ घुमे। किसे-किसे पतरे काढ़ण आलें नै नानी, दादी बिठाये मिलती घरां। और वो पतरे काढ़ण आले, उनकी मानसिक स्तिथि जान, मुँह माँगा छोटा-मोटा दान ले जाते। अब वो सच हो या ना हो, वो अलग बात। तो एक तो भविष्य बताने वाले होते हैं, आपकी मानसिक स्तिथि को जानकार, उसको अपने फायदे के अनुसार भुनाने वाले। जैसे झोला छाप डॉक्टरों के बारे में बोलते हैं? 

और एक होता है की आपको कोई जानकारी है या किसी तरह का ज्ञान या विज्ञान है और आप उसके हिसाब से सामने वाले को कुछ बता रहे हैं या आगाह कर रहे हैं। किसी भी खास विषय या जीव जानवरों के जानकार या डॉक्टर?
एक और होता है, आशँका (probability),  जिसे हम intuition कहते हैं। बहुत बार वो ईधर-उधर से आई कोई ठोस जानकारी भी हो सकती है। जैसे किसी so-called Dr के केस में, आपके आसपास ऐसा कुछ संदेश फैल रहा हो, PGI वालों से सावधान। ये लोगों को use और throw करते हैं। अब वो आशँका है, सच भी हो सकता है और गलत फैलाया हुआ एजेंडा भी। ऐसे-ऐसे कुछ एक उदाहरण आसपास होंगे और आप ना सिर्फ सचेत हो जाएँगे, बल्की चलते बनेंगें अपने रस्ते? मतलब आशँका ज्यादा है और ऐसा सच होता प्रतीत हो रहा है। ऐसे ही जैसे कहीं कोई उदाहरण सामने आएँ, की लोगबाग लड़कियों को ऐसे पटाते हैं, की खुद गुंडे भेझेंगे और फिर खुद ही बचाने आसपास पहुँच जाएँगे। शायद, कोई सर्विलांस कर रहे थे सबका, जिन्होंने ना सिर्फ आगाह किया, बल्की, आगे भी काफी साँग चला फिर?

तो सर्विलांस के फायदे भी हैं और नुकसान भी। निर्भर करता है की किस मानसिकता से प्रयोग किया जा रहा है? मगर, ये खिड़की-जंगलों पर मँडराता या घरों में घुसा हुआ, बैड रुम और बाथरुम तक घुसने वाला सर्विलांस समझ से परे है। 
तो जो जानकारी या ज्ञान-विज्ञान का प्रयोग कर आपके बारे में सबकुछ जानते हैं, वो काफी कुछ गलत के बारे में आगाह भी कर सकते हैं। और बहुत से कांडों को होने से पहले ही बचा भी सकते हैं। मगर जानकारी होते हुए जो वक़्त रहते नहीं बचाते और उसपे उसकी रिकॉर्डिंग तक कर, उसका दुरुपयोग करते हैं? क्या कहेंगें आप ऐसे-ऐसे लोगों के बारे में?
 
यहाँ तक तो है जो जानकारी है, उसके अनुसार फायदा या नुकसान। जैसे, अगर मौसम विभाग ने बता दिया की अगले 24 घंटे में यहाँ-यहाँ बारिश होगी, तो मान के चलो की होगी। ये तो दशकों पुराना ज्ञान-विज्ञान है, जो वक़्त के अनुसार बहुत ही सटीक हो गया है। 

आज की दुनियाँ इससे कहीं आगे निकल चुकी। आज का ज्ञान-विज्ञान ये सब सिर्फ बताता नहीं है, की कब बारिश होगी या आँधी या तूफ़ान आएगा या ओले पड़ेंगे या धूप निकलेगी या धुँध होगी या भूकंप आएगा या ऐसी ही कोई और आपदा। आज का ज्ञान-विज्ञान उसे घड़ता है। कुछ-कुछ ऐसे, जैसे, मेरी मरजी?

मैं चाहे ये करूँ, मैं चाहे वो करूँ, गाना है ना कोई? आओ उसे थोड़ा-सा बदलें? 

मैं धूप भगा, धुंध ले आऊँ
यहाँ-वहाँ ओले पड़वाऊँ 
आँधी लाऊँ या तूफ़ान लाऊँ 
भूकंप लाऊँ या बाढ़, चक्रवात 
या समुंद्री तूफ़ान ले आऊँ 
और उनपे अपनी-अपनी 
राजनीतिक पार्टियों की सुविधा अनुसार 
नाम लिखवाऊँ, 
मेरी मरजी? 

इसे AI कहते हैं क्या? आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस (Artificial Intelligence)? यहाँ उसको आर्टिफीसियल वेदर (Artificial Weather or Weather Manipulation) भी बोलते हैं।         

अब इसी तरह अगर इस गाने को हम थोड़ा इंसानो पे लागू करें तो? क्या कहेंगे उसे? आर्टिफीसियल लाइफ डिज़ाइन (Artificial Life Design)? सोशल इंजीनियरिंग (Social Engineering)? और उसके अनुसार Social Tales of Social Engineering? हम सबकी ज़िंदगियाँ ? 

तो ये दुनियाँ भर की सत्ताएँ और बड़ी-बड़ी कंपनियाँ क्यों नहीं चाहती की आपको भी इसकी जानकारी हो?   
जानने की कोशिश करते हैं की ये सत्ताएँ और बड़ी-बड़ी कंपनियाँ क्यों नहीं चाहती, की आपको भी इसकी जानकारी हो? और सबसे बड़ी बात, कौन-कौन से ज्ञान और विज्ञान का प्रयोग या दुरुपयोग कर, वो ये दुनियाँ घड़ रही हैं? बहुत कुछ आपको पता है, मगर उस सबको मिलाकर घड़ते कैसे हैं, वो नहीं मालूम? तो जानते हैं ना आगे पोस्ट में। अगर ये सच आम लोगों को बताने की सजा जेल जाना या दुनियाँ से ही उठना है, तो क्या कहेंगें ऐसी-ऐसी सत्ताओं और राजनीतिक पार्टियों को? सिर्फ सत्ता नहीं राजनीतिक पार्टियाँ कहना सही होगा शायद? क्यूँकि, इस हमाम में सब नंगा है, ऐसे भी और वैसे भी। ये सब इन सबकी मिली भगत से हो रहा है?   

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