Gaming, Circus or Gambling Powers?
जब हम यूनिवर्सिटी की बात करते हैं, तो दिमाग में क्या आता है?
पढ़ाई-लिखाई, रिसर्च? या खेल-कूद, लड़ाई-झगड़े, वाद-विवाद, युद्ध या जुआ? राजनीतिक या बड़ी-बड़ी कंपनियों का साम्राज्य?
शायद ये सब? पिछले कुछ साल, दुनियाँ भर की यूनिवर्सिटीयों के पेज खँगालते-खँगालते ऐसा लगा, जैसे दुनिया के रचयिता यही हैं? कुछ ज्यादा तो नहीं हो गया? इसीलिए लिखा है, ऐसा लगा।
इस सब पर आने से पहले एक छोटा-सा वाक्या बताती हूँ। आपका भेझा जैसे फट रहा है गुस्से से, और आप अपनी यूनिवर्सिटी को ही ब्लास्ट करना चाह रहे हैं। मगर दिमाग का कोई हिस्सा जैसे कह रहा हो, की ऐसी जगह से दूर होना बढ़िया है। आप VC ऑफिस पहुँचते हैं और जाने किस बात पर VC बोलते हैं, "मैं इससे ज्यादा नहीं कर सकता।"
ये शब्द कहीं भी फिट नहीं बैठ रहे। क्यूँकि, आपके हिसाब से तो आपने कुछ खास कभी माँगा ही नहीं। सिर्फ और सिर्फ, अपने प्रोफ़ेशनल अधिकारों के सिवाय। और VC और ऑथॉरिटीज़ वहीं फेल नज़र आए। समझ ही नहीं आया, की वो काम किसके लिए कर रहे हैं? यूनिवर्सिटी का मतलब क्या है?
आपने अपनी क्लास और लैब्स में या डिपार्टमेंट में हो रहे गड़बड़ घौटालों को रोकने की बात की थी। सिर्फ और सिर्फ अकादमिक एनवायरनमेंट माँगा था, ताकी आप अपनी जॉब सही से कर पाएँ। उसपे इन्हीं ऑथॉरिटीज़ ने कोई जवाब ही नहीं दिया। आपकी शिकायत जाती रही, कूड़े के डस्टबिन में। और वो कहीं और ही घुमाते रहे। जो उनका अधिकार ही नहीं है, आपका पर्सनल स्पेस।
धीरे-धीरे समझ आया की क्या UGC, क्या CSIR और बाकी अकादमिक इंस्टीटूट्स। सब जैसे यही खेल रहे हैं। और मन बना, भारत छोड़ना है। और कोई चारा ही नहीं है। यहाँ से शुरु किया, इंटरनैशनल अकादमिक ज़ोन को जानना। ऐसा नहीं की पहले कोई खोज खबर ही नहीं थी। मगर ऐसे नहीं, जैसे अब हो रही थी। ऐसे तो कभी पढ़ा ही नहीं, देखा ही नहीं या सोचा ही नहीं। दुनियाँ भर की यूनिवर्सिटीयाँ और राजनीती का गढ़ जैसे? राजनीतिक कुर्सियों और बड़ी-बड़ी कंपनियों के गठजोड़ से बने गुटों के बीच बटे ये सँस्थान। और उन गुटों के एजेंडा को समाज के स्तर पर उतारने में आगे बढ़ाते हुए उनके पायदान? इससे आगे कुछ भी नहीं?
या शायद इससे आगे और ऐसे माहौल के खिलाफ भी, समाज को कम से कम इस सबसे अलग परोसते, इन्हीं संस्थानों में से कुछ एक सँस्थान भी? या इन्हीं संस्थानों में कुछ एक समुह? क्यूँकि, एक तरफ जहाँ ज़्यादातर ज़िंदगियाँ खप जाती हैं, घर, गृहस्थी के दायरे में और उनके लिए अच्छी ज़िंदगी जुटाने में। वहीँ, यूनिवर्सिटी जैसी जगहें, उनसे थोड़ा अलग तरह का वातावरण और स्पेस भी हैं, दुनियाँ के बारे में सोचने, समझने और काम करने के लिए। पर्सनल स्तर पर आपके विचार किसी भी विषय पर क्या हैं या अपनी ज़िंदगी आप किस दायरे में जीते हैं, जरुरी नहीं, वैसे ही विचार सब पर थोंपे। यही विविधता में एकता है। और ये हमें ऐसे दायरों में कैद करना नहीं सिखाती। बचपन से शायद यही पढ़ा और सीखा था। मगर पीछे का दशक, कहीं न कहीं उस सामजस्य को जकड़ता और कैद करता नज़र आया।
उस कैद को टेक्नोलॉजी ने ख़तरनाक स्तर पर पहुँचा दिया। जहाँ इंसान, इंसान कम, इन बड़ी-बड़ी कंपनियों का गुलाम, मानव रोबॉट ज्यादा नज़र आया। ये नज़र भी कुछ एक यूनिवर्सिटी के प्रॉजेक्ट्स ही समझा और बता रहे हैं। फिर चाहे वो यूरोप हो या USA या ऑस्ट्रेलिया। एशिया अभी भी काफी पीछे है शायद? चीन को छोड़कर? या शायद, मैंने एशिया के बारे में अभी उतना नहीं पढ़ा?
तो इस बार के ABCDs of Views and Counterviews में किस यूनिवर्सिटी की सैर पर चलें?
Go Gators? U of F? और CJC? मगर CJC ही क्यों?
जानते हैं आगे पोस्ट में।
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