Views and Counterviews 95

 जाने क्यों ये विडियो बार-बार मेरे यूट्यूब पर आ रहे हैं? कह रहे हों जैसे, सुनो हमें? जाने क्यों लगा, की ये तो रौचक हैं      प्रशांत किशोर  V...

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Thursday, April 17, 2025

ABCDs of Views and Counterviews? 68

 संसाधनों का प्रयोग और दुरुपयोग 

पीछे एक सीरीज चलाई थी इसपे। क्यों? क्यूँकि, गाँव आने के बाद मैंने जितना संसाधनों का दुरुपयोग होते देखा, शायद पहले कभी नहीं। 

आप कहेँगे, ऐसा कैसे? यहाँ तो लोगबाग हर चीज़ को सँभाल कर रखते हैं? लोगों के पास इतना होता ही नहीं, की दुरुपयोग कर सकें? वही तो, की लोगों के पास इतना होता ही नहीं, की वो बर्बाद कर सकें। मगर, फिर भी करते हैं? खासकर, वो सँसाधन जिसे सबसे ज्यादा सँभाल कर रखना चाहिए? जिसकी सबसे ज्यादा सुरक्षा और देखभाल होनी चाहिए? आदमी, इंसान। जो घर या समाज, जितनी उनकी सुरक्षा रखते हैं, जितना उनका ध्यान रखते हैं, वो उतने ही आगे बढ़ते हैं। जो उनकी बजाय, बाकी छोटी-मोटी चीज़ों का ख्याल रखने लगते हैं, वो उतने ही ज्यादा पिछड़ते जाते हैं? इस पर कुछ लोगों के तर्क अलग हो सकते हैं। की नहीं, हमने तो फलाना-धमकाना का बहुत ख्याल रखा, मगर परिणाम ऐसे नहीं आए? शायद? जानने की कोशिश करें की ऐसा क्यों?

भाभी की मौत ने जितना दिखाया या समझाया, शायद उससे पहले ना कभी देखा और ना ही कभी समझा, की मानव रोबॉटिकरण क्या होता है। उससे पहले कोरोना के दौरान थोड़ी-बहुत समझ आई थी। और भाभी की मौत के बाद 2-3 और मौतें हुई आसपास, कुछ-कुछ ऐसे की बस दंग ही रह जाए इंसान, की ये क्या है? पता चला, ये मानव रोबॉटीकरण है। इसे जितना समझोगे, उतना ही आज के समाज के ताने-बानों की खबर होगी। खासकर, ज्ञान-विज्ञान और टेक्नोलॉजी के दुरुपयोग की। 

उसके बाद कुछ और मौतें देखी, सुनी और समझने की कोशिश की। कुछ-कुछ ऐसे, जैसे, ये क्या हो रहा है? ये कुछ राजनेताओं की मौतें थी। संभव है क्या? ये तो बड़े लोग हैं, साधन-सम्पन लोग। फिर? और शायद जवाब था, की साधन-सम्पन हैं, तभी तो वहाँ सिर्फ बुजुर्ग हैं। जवान या बच्चे नहीं। यहाँ तो बुजुर्ग तो ज्यादातर होते ही नहीं। जवान और बच्चों को पैदा होने से पहले भी खत्म किया है, इस सिस्टम ने। सिस्टम ने? इकोसिस्टम ने? और बनाता कौन है वो सिस्टम या इकोसिस्टम? सबसे अहम, कैसे? बायो और इससे सम्बंधित क्षेत्रों वाले पहुँचों, आपके media culture या cell culture की जानकारी, बड़े ही रौचक तरीके से अहम है यहाँ।  

जब शुरु-शुरु में मुझे ये सब समझ आना शुरु हुआ, तो लगा लैब तो अब मिली है। वहाँ तो लैब थी ही नहीं। नाम मात्र अगर थी भी, तो ऐसी, जिसमें अगर कुछ आता भी तो पता ही नहीं चलता की कहाँ, कब, कौन और कैसे किस expired से बदल जाता? शिकायत शुरु की, तो हुआ ऐसे, की लो एक के बाद एक, अब फाइल ही सँभालते रहो। और फाइल भी कैसी-कैसी? जैसे और कोई काम ही ना बचा हो? और यहाँ जो कुछ देखा-समझा तो लगा, जैसे, यही तो काम है जो शायद तुम्हें चाहिए था? सर्च करनी थी या रिसर्च? लगे रहो अब। भेझा फ्राई जैसे? जैसे, कोई पत्रकार बोले, और ये geneticist लोगों को मरने से पहले पढ़ रहे थे या उन पर जैसे रिसर्च कर रहे हों की मरने से पहले होता क्या है? और भी पता नहीं, कैसी-कैसी कहानियाँ घड़के, कैसे-कैसे आईने दिखाते हैं ना मीडिया के लोग? और पता नहीं कैसे-कैसे मिर्च-मसाले के साथ? जैसे पीछे एक किसी नेता का इंटरव्यू महाकुम्भ की मौतों पर? और किस सिस्टम ने क्या आर्डर दिया? 

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