Views and Counterviews 95

 जाने क्यों ये विडियो बार-बार मेरे यूट्यूब पर आ रहे हैं? कह रहे हों जैसे, सुनो हमें? जाने क्यों लगा, की ये तो रौचक हैं      प्रशांत किशोर  V...

Search This Blog

Wednesday, September 17, 2025

Views and Counterviews 89

 हमारी आने वाली शिक्षा का भविष्य कुछ-कुछ ऐसा सा होगा, जैसे कोई विडियो या पॉडकास्ट देखना। Podcast? या Modcast? या कोई भी और नाम? 

जैसे किसी भी विषय की किताब में कुछ एक चैप्टर होते हैं, वैसे ही इनमें भी। ये विडियो सीरीज किसी भी नाम से हो सकती हैं और एक ही विषय पर कितने ही लोगों की या उस विषयों के खास जानकारों के। इनमें आपके पास सुविधा होगी, की आपको कौन सा जानकार की सीरीज अच्छे से समझ आ रही है, उसके अनुसार ही आप उन्हें देख पाएँ। दुनियाँ भर से बहुत से अच्छे-अच्छे एक्सपर्ट्स या जानकारों या शिक्षकों के ऐसे विडियो भी आपको मुफ़्त में ऑनलाइन देखने-सुनने को मिल सकते हैं। किसी खास जानकार की सीरीज की बजाय, कोई बड़े बड़े इंस्टिट्यूट भी ऐसी सुविधा आपको ऑनलाइन दे सकते हैं। या कहो की दे रहे हैं। ऐसे में शिक्षकों की भूमिका क्या रहेगी?

ये शिक्षकों की कुछ हद तक जगह जरुर लेंगे। मगर, उनका विकलप नहीं हो सकते। सबसे बड़ी बात, ये गरीबों के लिए या मध्यम वर्ग के लिए, बड़े लाभदायक हैं। क्यूँकि, इनमें आपको किसी भी विषय का एक्सपर्ट बनने के लिए या किसी भी परीक्षा की तैयारी करने के लिए बड़े-बड़े, महँगे शिक्षा संस्थानों की फीस भरने की जरुरत ही नहीं है। या पढ़ने के लिए, वहाँ जाने की भी जरुरत नहीं है। ये सब आप घर बैठे कर सकते हैं, बस इतने से में, जितने में आप इंटरनेट देख पाएँ। प्राइवेट शिक्षण संस्थानों के दबदबे को ख़त्म करने का ये एक कारगार तरीका है। जितने ये पढ़ने वालों के लिए उपयोगी हैं, उतने ही शिक्षकों के लिए भी। खासकर, उन शिक्षकों के लिए, जिन्हें किसी भी वजह से खुद को अपडेट या रिफ्रेश करने का मौका नहीं मिलता। 

जहाँ पे सरकारी शिक्षण संस्थानों के हालात, किसी सरकार की नाकामी की वजह से बदलना संभव ना हो। या ऐसा करने के लिए ज्यादा जद्दो जहद करने की नौबत हो। उसका अल्टरनेटिव ऐसी डिजिटल लाइब्रेरी हो सकती हैं, जिनकी सुविधा आम लोगों को भी मुफ़्त में उपलब्ध हो। ऐसी डिजिटल लाइब्रेरी, जो शिक्षण संस्थानों के अलग-अलग डिग्री प्रोग्रामों पर आधारित हों। जैसे ये स्कूल सिलेबस लाइब्रेरी। ये कॉलेज। ये यूनिवर्सिटी। ये किसी खास परीक्षा की तैयारी वाली लाइब्रेरी। यहाँ शिक्षकों की भूमिका किसी मेंटर या फैसिलिटेटर वाली ज्यादा रहेगी। पिछले कुछ सालों में जैसे कुछ स्कूलों ने, स्कूली पद्धति को ही अकडेमी का नाम दे दिया। या उससे भी पहले, बहुत से स्कूलों ने जैसे नॉन अटेंडिंग का एक ट्रेंड शुरु किया था। ऐसे ही बिहार जैसे या हरियाणा जैसे राज्यों के सरकारी स्कूलों का एक अल्टरनेटिव ऐसी डिजिटल लाइब्रेरी वाली सुविधाएँ हो सकती हैं।  

जैसा पहले ही लिखा है, की ये शिक्षकों की कुछ हद तक जगह जरुर लेंगे। मगर, उनका विक्लप कभी नहीं हो सकते। क्यूँकि, ज्यादातर विषय प्रैक्टिकल आधारित हैं। खासकर, विज्ञान और इंटरडिप्लीनरी। उसपर घर की बजाय, कहीं भी बाहर जाकर पढ़ना, मतलब माहौल ही बदलना। और बदला हुआ माहौल, आपको अपने आप किताबी या डिग्री ज्ञान से आगे बहुत कुछ सिखाता है, जो आप घर या किसी एक जगह रहकर या ऑनलाइन नहीं सीख सकते। आप क्या कहते हैं?

No comments:

Post a Comment